पिछले कई दिनों से नोटबंदी को लेकर लोकसभा में चला रहे हंगामे के शुक्रवार को टूटने के आसार बन रहे थे. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक बार फिर आमने-सामने हुआ. शुक्रवार सुबह विपक्षी पार्टियों ने गुलाम नबी आजाद के कमरे में बैठक करके रणनीति बनाई कि अगर लोकसभा का प्रश्नकाल स्थगित कर स्पीकर बहस करने को राजी हो जाएंगे तो वह बहस करने के लिए तैयार हैं.
इस सिलसिले में विपक्ष ने लोकसभा स्पीकर से भी मुलाकात की. जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सत्ता पक्ष विपक्ष से मांग करने लगा. सत्ता पक्ष ने कहा कि सदन में गतिरोध के लिए कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए. जिस ढंग से उन्होंने सदन नहीं चलने दिया उन्हें सदन में माफी मांगनी चाहिए. सत्ता पक्ष की दूसरी मांग यह भी है कि जो 193 के तहत जितेंद्र रेड्डी चर्चा शुरू कर चुके थे. वहीं से चर्चा आगे शुरू होगी. जिस पर विपक्ष राजी नहीं हुआ और बार-बार लोकसभा की कार्यवाही स्थगित होती रही. उसके बाद विपक्ष बेल में आ गया और नारेबाजी करने लगा और सदन की कार्यवाई स्थगित कर दी गई.
ये है अंदर की बात
शुक्रवार को सदन चलाने के पीछे कांग्रेस की रणनीति यह बताई जा रही है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी नोटबंदी को लेकर अपना भाषण तैयार करके आए थे. इस बात की भनक सत्तापक्ष को लगी और उन्होंने विपक्ष की
मांग नहीं मानी. सत्ता पक्ष को कहीं ना कहीं लग रहा था कि राहुल गांधी अगर आज सदन में बोलेंगे तो उसके बाद कांग्रेस हंगामा कर सकती है. वहीं संसद के दूसरे सदन में मंगलवार तक छुट्टियों के कारण राहुल को जवाब देने के
लिए एक गेप मिल जाता. ऐसे मे राहुल गांधी तो अपनी बात कह जाते लेकिन सरकार उनकी बातों का जवाब नहीं दे पाती. यह सरकार के सामने मुश्किल थी जिसकी वजह से सरकार ने कांग्रेस की रणनीति को फेल कर
दिया.
इस वजह से राहुल गांधी सदन के बाहर आकर मीडिया से बोले और पीएम मोदी के फैसले पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि नोटबंदी एक बहुत बड़ा घोटाला है. जिस पर वह सदन में आज बोलना चाहते थे. लेकिन सत्ता पक्ष ने उनको बोलने नहीं दिया. वह एक-एक चीज जिससे लोगों को परेशानी हो रही है सामने लाना चाहते थे.
सत्ता पक्ष की ओर से यही कहा गया कि विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस बहस नहीं चाहती इसीलिए लगातार हंगामा कर रही है. संसदीय कार्यमंत्री आनंद कुमार ने भी कहा कि हम लोग हमेशा से चर्चा करना चाहते हैं. लेकिन कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां चर्चा से भाग रही हैं. देश की जनता मोदी के फैसले के साथ है.