केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीमा क्षेत्र में कुल मिलाकर 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की सीमा के साथ बीमा संशोधन विधेयक पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी. विधेयक में संसदीय समिति के सुझावों को शामिल करते हुए बदलाव किए गए हैं. इंश्योरेंस सेक्टर में FDI से होने वाले फायदे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में संसद की प्रवर समिति द्वारा सुझाए गए संशोधनों को बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2008 में शामिल करने को मंजूरी दी गई.
विधेयक को राज्यसभा में अगले सप्ताह विचार एवं पारित करने के लिए रखे जाने की संभावना है.
इससे पहले प्रवर समिति की राज्यसभा के पटल पर रखी गई रिपोर्ट में बीमा क्षेत्र में सकल विदेशी निवेश सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया. यह सीमा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) सहित कुल मिलाकर होगी.
वर्तमान में निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों में 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है. एफडीआई सीमा बढ़ाने से इस क्षेत्र में 25,000 करोड़ रुपये की विदेशी पूंजी आकर्षित होने की उम्मीद की जा रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति ने यह सिफारिश की है कि बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत की सकल निवेश सीमा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के सभी स्वरूपों में किये जाने वाले निवेश सहित होगी.’
बीमा विधेयक 2008 को राज्यसभा में पारित कराने के लिये कांग्रेस का समर्थन महत्वपूर्ण है, क्योंकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार को राज्यसभा में बहुमत हासिल नहीं है.
माना जा रहा है कि पिछले छह साल से लटके पड़े बीमा संशोधन विधेयक को राज्यसभा में पारित कराना इतना आसान नहीं होगा. कुछ राजनीतिक दलों ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने का विरोध किया है.
इनपुट-भाषा