एक उपभोक्ता मंच ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को उस व्यक्ति को 3.5 लाख रुपये से ज्यादा देने का आदेश दिया है जिसका मेडिक्लेम उसके द्वारा कथित तौर पर उसकी पूर्व की बीमारी को छुपाने की वजह से मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया था.
सी के चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाले नई दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच ने बीमा कंपनी को गुड़गांव निवासी राजीव चन्ना को 3,57,857 रुपये अदा करने का आदेश दिया है.
मंच ने कहा, ‘यह साबित होता है कि प्रतिवादी (कंपनी) ने बिना दिमाग लगाये कार्रवाई की और तथ्य छुपाने के लिए शिकायकर्ता को दोषी बताया.’ इसमें कहा गया है, ‘प्रतिवादी को निर्देश दिया जाता है कि वह 2,87,857 रुपये वापस करे. हम 45,000 रुपये उत्पीड़न और कोताही के लिए और 25,000 रुपये मुकदमे के खर्च के लिए देने का भी आदेश देते हैं.’ चन्ना की शिकायत के मुताबिक, बीमा कंपनी के साथ उसका बीमा एक फरवरी 2009 से 31 जनवरी 2010 के बीच था और इसी दौरान वह अस्पताल में भर्ती हुए और इसकी जानकारी कंपनी को दी गई थी.
शिकायत के अनुसार, दावा दाखिल करने के 15 दिन बाद जब उन्होंने दावे की स्थिति जानना चाही तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. उनके बीच कई मेल और पत्राचार का आदान-प्रदान हुआ, लेकिन कंपनी उनके 2.87 लाख रुपये के दावे का निपटान करने में विफल रही.
कंपनी ने मंच को बताया कि चन्ना ने 1995 से 2005 तक बीमारी का ब्योरा दिया, लेकिन वह पॉलिसी ले रहे थे 2009-2010 की. बहरहाल चन्ना ने मंच को बताया कि 2009-2010 की पॉलिसी उनकी पहले की पॉलिसी का विस्तार था.