बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि नक्सल समस्या से निबटने के लिए ‘समेकित रुख’ जरूरी है क्योंकि ‘सिर्फ जोर जबरदस्ती की कार्रवाई’ से वे और अलग-थलग पड़ जायेंगें.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से आहूत नक्सल प्रभावित राज्यों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कुमार ने केन्द्र पर इस समस्या से निबटने में आवश्यक सहायता नहीं पहुंचाने का आरोप लगाया. उन्होंने वामपंथी उग्रवाद से निबटने के लिए ‘समेकित रुख’ की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, ‘अकेले जोर जबरदस्ती की कार्रवाई से व्यापक विलगाव होता है, उग्रवादी संगठनों के नेता को नायक बनाता है और सिर्फ लाक्षणिक उपचार की ओर ले जाता है और रोग ज्यादा खतरनाक सूरत में उभरता है.’
कुमार ने कहा, ‘हालांकि उन्हें गुमराह कर हिंसा की राह पर ले जाया गया है, नक्सली तत्व हमारे समाज का एक हिस्सा हैं.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने नक्सल स्थिति पर चिंता जतायी है और राज्य में केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की संख्या में इजाफा की मांग की है, बिहार को ‘केन्द्र सरकार से आवश्यक समर्थन नहीं मिला.’ कुमार ने कहा, ‘पिछले कई साल के दौरान बिहार में तैनात केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की कंपनियों की तादाद में कोई फर्क नहीं आया है.’
उन्होंने कहा कि पिछली बार इस तरह की बैठक अक्तूबर 2009 में हुई थी. तब दूसरे राज्यों में केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की तादाद बढ़ा दी गई थी, लेकिन बिहार को ‘एक भी अतिरिक्त कंपनी नहीं मिली.’ कुमार ने मांग की कि राज्य में केन्द्रीय अर्धसैनिक बल प्रशिक्षण प्रतिष्ठान की संख्या में भी इजाफा किया जाना चाहिए. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि टिकाऊ विकास के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद से निबटना चाहिए, लेकिन इसके लिए बिहार जैसे राज्यों को केन्द्र के समर्थनात्मक रुख की जरूरत है. कुमार ने कहा कि सीमित मानवशक्ति, उपकरण और संसाधन के संदर्भ में अपंगता के बावजूद राज्य सरकार नक्सल स्थिति को काबू में रखने में कामयाब रही.
उन्होंने कहा, ‘इसको पूरा करने के लिए हमने पूर्व सैनिकों को नियुक्त कर विशेष सहायक पुलिस (स्पेशल आक्जिलरी पुलिस) तैयार की. बदकिस्मती से, नियोजन शर्तों में ढिलाई देने और भत्तों में इजाफा के बावूजद हम आबंटित संख्या नहीं पा सके.’ कुमार ने इंगित किया कि विभिन्न संगठनों ने ‘स्थानीय उग्रवाद’ से निबटने के लिए दो हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विशेषाकृत छापेमार निरोधी प्रशिक्षण के लिए स्कूलों की स्थापना के लिए काम कर रहा है. उन्होंने 35 नक्सल प्रभावित जिलों में विकास कार्यों को चलाने के लिए योजना आयोग की समेकित कार्रवाई योजना के बारे में कहा, ‘यह मान्यता प्राप्त है कि पूरे भारत में 83 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिले हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि क्यों समेकित विकास के लिए सिर्फ 35 जिलों को चुना गया.’ कुमार ने कहा, ‘चूंकि बाकी 48 जिले पिछड़े बने रहेंगे, ज्यादातर जिलों को समेकित विकास के दायरे से बाहर रख कर इस समस्या को हल नहीं किया जा सकता.’