मणिपुर में सेना के काफिले पर हमले के पीछे चीनी साजिश की आशंका सामने आ रही है. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक सेना के काफिले पर हमला करने वाले उग्रवादी संगठन ने सीजफायर के बावजूद हमला चीन के निर्देश पर ही किया है
सरकारी सूत्रों ने सोमवार को दावा किया कि ULFA के कट्टरपंथी धड़े के चीफ परेश बरुआ को चीन की PLA के कुछ सीनियर अधिकारियों से निर्देश मिले थे. इसके बाद उसने मार्च में NSCN (K) के चेयरमैन एस.एस. खापलांग को भारत सरकार के साथ हुए सीजफायर अग्रीमेंट को तोड़ने के लिए राजी कर लिया. खुफिया जानकारी के मुताबिक खापलांग म्यांमार के तागा में है और बरुआ चीन के युनां प्रांत में है. दोनों के PLA के संपर्क में होने की खबर है.
खुफिया जानकारी के मुताबिक पूर्व PLA ऑफिसर मुक यैन पाउ हुआंग म्यांमार के काचीन प्रांत में राइफल्स की गैरकानूनी फैक्ट्री चल रहा है. इस फैक्ट्री को बर्मा की कम्यूनिस्ट पार्टी के पूर्व नेता तिन यिंग ने शुरू किया था. यहां से बने हथियार म्यांमार के विद्रोहियों और भारत के उग्रवादियों को सप्लाई किए जाते हैं. मणिपुर में वारदात को अंजाम देने वाले NSCN (K) यानी नैशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खापलांग) को भी यहीं से हथियार मिलते हैं.
नॉर्थ-ईस्ट में करीब 2 दर्जन अराजकतावादी उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं और उनमें से ज्यादातर ने म्यांमार के काचीन प्रांत में ट्रेनिंग कैंप और बेस बनाए हुए हैं. खापलांग और बरुआ दोनों इन संगठनों को हथियार दिलाने में मदद करते हैं. गुरुवार को मणिपुर में सेना के काफिले पर हुए हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 11 अन्य जख्मी हो गए थे.