भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन ओपी भट्ट ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का संकेत देते हुए सोमवार को कहा कि अगले छह महीनों तक किस्तों की वसूली में समस्या बनी रह सकती है और इसमें खास कर लघु तथा मझोली इकाइयों के साथ समस्या अधिक होगी.
बैनकान सम्मेलन के दौरान भट्ट ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति बढ़ रही है और आशंका है कि नियामकीय (रिजर्व बैंक की) कार्रवाई से ब्याज दरें बढ़ सकती हैं.’’ रिजर्व बैंक इस महीने के अंत में अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा और माना जा रहा है कि आरबीआई मौद्रिक नीति सख्त करने के लिए आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) बढ़ा सकता है. सीआरआर बढ़ने से बैंकों के पास साख सृजन के लिए संसाधन कम हो जाते हैं.
ऋण पुनभरुगतान (किस्तों की वसूली) में चूक के संदर्भ में भट्ट ने कहा, ‘‘गैरनिष्पादित आस्तियां बढ़ रही हैं विशेषकर एसएमई क्षेत्र में और इसके अगली दो तिमाहियों तक बढ़ते रहने की आशंका है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 8 फीसदी रहने की संभावना है और आने वाले वर्षों में यह 10 फीसदी पर पहुंच सकती है. बैंकिंग उद्योग में विलय और अधिग्रहण के संबंध में उन्होंने कहा कि इसकी धीमी गति चिंता का विषय है.
भारतीय बैंकों को आकार और क्षमता में बढ़ना है अन्यथा वे वैश्विक बैंकों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे. एसबीआई में कंसोलिडेशन (सहायक बैंकों को मिलाने की) प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि प्रक्रिया धीमी गति से बढ़ रही है. ‘‘हमने कंसोलिडेशन की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन यह थोड़ी धीमी गति से आगे बढ़ रही है.’’
भट्ट ने कहा कि कोष हासिल करने वाले प्रमुख क्षेत्रों को पर्याप्त कोष उपलब्ध कराने में भारतीय बैंकों को चुनौती का सामना करना पड़ेगा. सरकार के अनुमान के मुताबिक, बंदरगाहों, सड़कों एवं हवाईअड्डों को विकसित करने के लिए अगले पांच वर्षों में 500 अरब डॉलर निवेश की जरूरत पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र धीरे-धीरे पूरब की ओर विशेषकर भारत और चीन की ओर रुख कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय निवेशक भारत पर ध्यान बढ़ा रहे हैं. एसबीआई प्रमुख ने कहा कि अर्थव्यवस्था के मजबूत आधार को देखते हुए अगले तीन से पांच वर्षों में उद्योग के लिए बैंक ऋण 20 से 25 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना है.