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भारत में प्राचीन समय से रही योग की परंपरा, बाबा रामदेव ऐसे लाए क्रांति

यूं तो प्राचीन समय में कई ऋषियों-मुनियों ने देश में यो शिक्षा की अलख जगाई, मगर इस जमाने में बाबा रामदेव की योग शिक्षा को जन-जन तक ले जाने की मुहिम सफल रही है. 15 लाख से अधिक योग शिक्षकों की फौज खड़ी कर उन्होंने भारत ही नहीं दुनिया में योग का डंका बजवाया है. आज भारत की पहल पर पूरी दुनिया 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाती है.

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योग गुरु बाबा रामदेव. (फोटो- फेसबुक पेज से)
योग गुरु बाबा रामदेव. (फोटो- फेसबुक पेज से)

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देश में योग की प्राचीनता पर बहस छिड़ने पर कहा जाता है जब से सभ्‍यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है. योग विद्या में शिव पहले योगी या आदि योगी माने जाते हैं. मान्यता है कि कई हजार वर्ष पहले आदि योगी से मिले ज्ञान के बाद सप्तऋषियों ने योग विज्ञान को एशिया, मध्‍य पूर्व, उत्‍तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमरीका सहित दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाया. इस प्रकार देखें तो धर्मों के जन्म लेने से पहले से योग की मौजूदगी रही है. मगर आधुनिक समय की बात करें तो योग को जन-जन तक ले जाने में बाबा रामदेव की बड़ी भूमिका है. वह योग के आधुनिक ब्रांड एंबेसडर माने जाते हैं.

उन्होंने अष्टांग योग का सूत्र बताने वाले महर्षि पतंजलि के नाम पर 2006 में हरिद्वार में योगपीठ की स्थापना की. जहां से करीब 15 लाख योग शिक्षकों की फौज तैयार कर बाबा रामदेव ने देश ही नहीं दुनिया में योग की शिक्षा में क्रांति ला दी. योग के बढ़ते प्रभाव का ही असर रहा कि भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने पांच साल पहले 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया.

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एक रिपोर्ट के मुताबिक बाबा रामदेव शिक्षकों की ट्रेनिंग पर ढाई सौ करोड़ खर्च चुके हैं. वह अब तक 20 करोड़ से अधिक भारतीयों को तमाम शिविरों में योग की शिक्षा दे चुके हैं. टीवी चैनलों पर सुबह एक घंटे के प्रोग्राम से रोजाना लाखों लोग योग करते हैं. बाबा रामदेव का मानना है कि टीवी पर प्रोग्राम देखने वाले लोग भी योग के पांच से छह प्रारंभिक आसन सीख चुके हैं. योग की लोकप्रियता इतनी है कि आज अरबों की इंडस्ट्री बन चुकी है.

कैसे योगगुरु बने बाबा

बाबा रामदेव का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के अलीपुर गांव में राम निवास यादव और गुलाबो देवी के घर हुआ. उनका पहले नाम रामकृष्ण यादव था. आठवीं तक की शिक्षा लेने के बाद वह कई गुरुकुलों में भारतीय शास्त्रों, योग और संस्कृत के अध्ययन के लिए निकल पड़े. बाद में वह सन्यासी बने तो नाम बाबा रामदेव हो गया. हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में उन्होंने प्राचीन भारतीय शास्त्रों का गहन अध्ययन किया.

हिमालय की गुफाओं में साधना कर योग के महत्व को भी व्यावहारिक रूप में जानने की कोशिश की. फिर वह हरिद्वार पहुंचे. वह प्रसिद्ध होना तब शुरू हुए जब आचार्य बालकृष्ण के साथ उन्होंने दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट शुरू किया. धीरे-धीरे बाबा रामदेव की लोकप्रियता बढ़ती गई. आज उनके सिखाए शिक्षक देश ही नहीं, ब्रिटेन, जापान और अमेरिका में भी योगा की ट्रेनिंग देते हैं.

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योग का इतिहास

राष्ट्रीय योग संस्थान के निदेश डा. ईश्‍वर वी बासावरड्डी मोरारजी देसाई के मुताबिक पूर्व वैदिक काल (2700 ईसा पूर्व) में एवं इसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक साक्ष्‍य मिले. वेद और उपनिषदों, स्‍मृतियों, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पाणिनी, महाकाव्‍यों के उपदेशों और पुराणों में इसके साक्ष्य मिलते हैं. अनंतिम रूप से 500 ईसा पूर्व - 800 ई. सन के बीच की अवधि को योग के लिहाज से श्रेष्‍ठ अवधि के रूप में मानते हैं. क्योंकि इस अवधि के दौरान, योग सूत्रों और भागवद्गीता आदि पर व्‍यास की टीकाएं अस्तित्‍व में आईं. इस अवधि का श्रेय भारत के दो महान धार्मिक उपदेशकों  महावीर और गौतम बुद्ध को दिया जा सकता है.

महावीर ने  पंच महाव्रतों और बुद्ध ने अष्‍ठ मग्‍गा या आठ पथ की संकल्‍पना की, जिसे योग साधना की शुरुआती प्रकृति के रूप में मानते हैं. श्रीमद्भगवद्गीता में ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्म योग की संकल्‍पना को विस्‍तार से बताया गया है. योग विद्या के प्रसार में आदि शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और माधवाचार्य, सुदर्शन, तुलसी दास, पुरंदर दास, मीराबाई के उपदेशों ने योगदान दिया.  मत्‍स्‍येंद्र नाथ, गोरख नाथ, गौरांगी नाथ, स्‍वात्‍माराम सूरी, घेरांडा, श्रीनिवास भट्ट आदि महान हस्तियों ने हठ योग की परंपरा को लोकप्रिय बनाया. 1700 - 1900 ई. के बीच रमन महर्षि, रामकृष्‍ण परमहंस, परमहंस योगानंद, विवेकानंद आदि ने राज योग के विकास में योगदान दिया है.

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मुख्य योग साधनाएं

राष्ट्रीय योग संस्थान के निदेशक डा. ईश्‍वर वी बासावरड्डी मोरारजी देसाई विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के लिए लिखे अपने लेख में कहते हैं कि स्‍वास्‍थ्‍य एवं तंदरूस्‍ती के लिए योग की कई पद्धतियां हैं. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्‍याहार, धारणा, ध्‍यान, समाधि / साम्‍यामा, बंध एवं मुद्राएं, षटकर्म, युक्‍त आहार, युक्‍त कर्म, मंत्र जप आदि योग साधनाएं बड़े पैमाने पर की जाती हैं. यम अंकुश हैं तथा नियम आचार हैं.

इनको योग साधना के लिए पहली आवश्यकता के रूप में माना जाता है. डॉ. देसाई कहते हैं कि आजकल, योग की शिक्षा अनेक मशहूर योग संस्‍थाओं, योग कॉलेजों और विश्‍वविद्यालयों के योग विभागों, प्राकृतिक चिकित्‍सा कॉलेजों और निजी न्‍यासों एवं समितियों की ओर से प्रदान की जा रही है. अस्‍पतालों, औषधालयों, चिकित्‍सा संस्‍थाओं रो में अनेक योग क्‍लीनिक, योग थेरेपी और योग प्रशिक्षण केंद्र खुले हैं.

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