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बैंकों के लिए कमाई का जरिया बनी इंटरनेट बैंकिंग

आम लोगों की सुविधा के उद्देश्य से शुरू की गई इंटरनेट बैंकिंग के लिए बैंक कई तरह के शुल्क लगाने लगे हैं और अब यह सेवा बैंकों के लिए कमाई का जरिया बन गई है.

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आम लोगों की सुविधा के उद्देश्य से शुरू की गई इंटरनेट बैंकिंग के लिए बैंक कई तरह के शुल्क लगाने लगे हैं और अब यह सेवा बैंकों के लिए कमाई का जरिया बन गई है. बैंक इंटरनेट के माध्यम से किए जाने वाले लेन देन के सौदों पर कई तरह के शुल्क वसूल रहे हैं जिसमें मूल शाखा के अतिरिक्त कहीं भी पैसा जमा कराने या पासबुक एंट्री कराने का शुल्क शामिल है.

बैंकिंग जगत के जानकारों के अनुसार एसबीआई, पीएनबी, आईसीआईसीआई बैंक तथा एचडीएफसी बैंक सहित निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी बैंक इस तरह के शुल्क वसूल रहे हैं. नयी व्यवस्था में अगर कोई ग्राहक अगर अपनी मूल शाखा से इतर किसी भी शाखा में पैसे जमा कराता है तो उसे शुल्क देना होगा. राशि जमा कराने के लिए यह न्यूनतम शुल्क 20 रुपये से लेकर 150 रुपये तक है.

बाहरी शहर की शाखा या किसी अन्य के खाते में पैसे जमा कराने पर शुल्क तो लगेगा ही. इसी तरह कई बैंक पासबुक में एंट्री कराने पर भी शुल्क ले रहे हैं. उदाहरण के रूप में देश का सबसे बड़ा बैंक समूह एसबीआई गैर मूल शाखा (नन होम ब्रांच) में पैसे जमा कराने के लिए दो रुपये प्रति हजार और न्यूनतम 25 रुपये का शुल्क लेता है. पीएनबी इस तरह के सौदों पर 25000 रुपये तक 20 रुपये, एचडीएफसी बैंक अपने बचत खाता धारकों से हर माह 50000 रुपये से परे जमा राशि पर 2.90 रुपये प्रति हजार तथा आईसीआईसीआई बैंक पांच रुपये प्रति हजार या न्यूनतम 150 रुपये का शुल्क लेता है.

विशेषज्ञों और ग्राहकों ने बैंकों के इस कदम को इंटरनेट बैंकिंग की मूल भावना के खिलाफ बताया है. बैंकिंग क्षेत्र की वेबसाइट चलाने वाले एक विशेषज्ञ ने भाषा से कहा कि इंटरनेट बैंकिंग 'कहीं भी कभी भी बैंकिंग सुविधा' के उद्देश्य से शुरू की गई थी लेकिन अब इसका कोई मतलब नहीं रह गया है. बैंक इंटरनेट बैंकिंग के लिए समय भी मर्जी से तय कर रहे हैं. दिल्ली में एसबीआई की रेल भवन शाखा में चस्पां नोटिस के अनुसार बाहरी लेन देन एक बजे तक ही किया जा सकता है. यानी उस शाखा से इतर दिल्ली या बाहरी शाखा में पैसे आदि जमा कराने के लिए एक बजे तक का समय है.

एक सार्वजनिक बैंक के अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा और घटती कमाई के बीच बैंकों ने आय का नया जरिया ढूंढा है. बैंकों की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जबकि रिजर्व बैंक तथा केंद्र सरकार अधिक से अधिक लोगों को बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही हैं. रिजर्व बैंक ने इसी दिशा में कदम उठाते हुए किसी भी एटीएम से नि:शुल्‍क धन निकासी हाल ही में की है.

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