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आईओए और खेल मंत्रालय फिर आमने सामने

खेल महासंघों के पदाधिकारियों के कार्यकाल को लेकर उठे विवाद को लुसाने में हुई बैठक में सुलझाने का दावा करने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और खेल मंत्रालय गुरुवार को इस विवादास्पद मसले पर फिर से आमने सामने आ गये.

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खेल महासंघों के पदाधिकारियों के कार्यकाल को लेकर उठे विवाद को लुसाने में हुई बैठक में सुलझाने का दावा करने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और खेल मंत्रालय गुरुवार को इस विवादास्पद मसले पर फिर से आमने सामने आ गये.

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आईओए महासचिव रणधीर सिंह ने दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) इस मामले में उनके साथ है और उसने साथ हाल में हुई बैठक में राष्ट्रीय एवं राज्य खेल संघों की पूर्ण स्वायत्ता का समर्थन किया. उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आईओए स्वायत्त संस्था है, अगर उम्र या कार्यकाल की अवधि तय करने की जरूरत होगी तो हम स्वयं आम सभा की बैठक करके इस मामले में कोई निर्णय करेंगे लेकिन खेल मंत्रालय को कोई अधिकार नहीं है कि वह हमारे आंतरिक मामलों में दखलंदाजी करे.’

खेल मंत्रालय ने तुरंत ही इस पर प्रतिक्रिया की और कहा कि उसने इस साल एक मई को जारी दिशानिर्देशों का वापस नहीं लिया है जिसमें किसी खेल महासंघ के अध्यक्ष का अधिकतम कार्यकाल 12 साल तय और महासचिव का एक बार में आठ साल तय करने के साथ सेवानिवृति की उम्र 70 साल करने का प्रावधान है.

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खेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा ‘कुछ भी नहीं बदला है सरकार का एक मई 2010 का आदेश जारी रहेगा. दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख 18 अगस्त है.’ खेल मंत्रालय की ओर से जारी कार्यकाल एवं उम्र संबंधी दिशानिर्देशों को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद इस मामले में लुसाने में पिछले शुक्रवार को बैठक आयोजित की गयी थी जिसमें आईओसी और आईओए के अलावा केन्द्रीय खेल मंत्रालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे.

इस बीच रणधीर सिंह ने कहा कि अगर देश की टीमों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग लेना है तो उसके लिए ओलंपिक चार्टर का अनुसरण करना जरूरी है. उन्होंने कहा, ‘हम ओलंपिक चार्टर का अनुसरण करते हैं और आईओसी का नियम है कि किसी को भी खेल संघों के मामले में दखलंदाजी करने का अधिकार नहीं है.’

रणधीर सिंह ने कहा कि कार्यकाल संबंधी विवाद के चलते वैश्विक स्तर पर देश की वैसे भी बहुत बदनामी हो चुकी है लेकिन अब ये विवाद पूरी तरह सुलझ चुका है और सबको मिलकर राष्ट्रमंडल खेलों और इसके बाद आयोजित होने वाले टूर्नामेंटों की तैयारी में जुट जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘इस (कार्यकाल संबंधी विवाद) के कारण देश को बहुत बदनामी झेलनी पड़ी है. लोग कह रहे हैं कि भारत इतना बड़ा देश है और वहां ऐसा विवाद हो रहा है. लेकिन ये मामला अब सुलझ चुका है और हम सबको मिलकर राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में जुट जाना चाहिए.’

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