दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रमंडल खेल 2010 की आयोजन समिति और भारतीय ओलंपिक संघ आरटीआई अधिनियम के दायरे में आते हैं.
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट ने आयोजन समिति की याचिका पर यह फैसला सुनाया जिसने उसे इस पारदर्शी कानून के दायरे में लाने के सरकार के फैसले को चुनौती दी थी. राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति और केंद्र सरकार में उस समय ठन गई थी जब समिति ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उसे सूचनायें सार्वजनिक करने के लिये उत्तरदायी करार देने के सरकार के फैसले को चुनौती दी थी. समिति का तर्क था कि वह स्वतंत्र और स्वायत्त ईकाई है लिहाजा आरटीआई अधिनियम के दायरे में नहीं आती.
आयोजन समिति ने दलील दी थी कि उसे संविधान की धारा 12 के तहत राज्य करार नहीं दिया जा सकता लिहाजा उसे आरटीआई अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं कहा जा सकता. केंद्र ने हालांकि कहा कि सरकार ने खेलों के लिये सरकार ने बजटीय आवंटन किया है लिहाजा समिति खुद को स्वायत्त नहीं कह सकती.
उधर समिति का कहना है कि उसे मिला वित्तीय सहयोग रिण की तरह है जो उसे वापिस करना है. समिति ने कहा कि सरकार ने कोई वित्तीय अनुदान नहीं दिया है बल्कि यह रकम रिण की तरह है जिसे सूद समेत हमें लौटाना है. केंद्र के साथ वित्तीय करार पूरी तरह से व्यावसायिक है.