करीब तीन साल पहले बुक कराने के बाद इस्तेमाल में नहीं आए प्रतीक्षा सूची के टिकट के लिए एक यात्री को किराए का पैसे वापस ना करने पर उपभोक्ता मंच ने यहां आईआरसीटीसी को उस यात्री को 25,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया.
नई दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच ने अपने आदेश में कहा कि करीब तीन साल पहले रिफंड के लिए आवदेन करने के बाद भी किराये के पैसे वापस ना किए जाने से ‘रेलवे की कार्यक्षमता की पूर्ण विफलता’ का पता चलता है.
मंच ने कहा, ‘इस मामले में रिफंड के लिए 12 नवंबर, 2010 को आवेदन किया गया और टिकट जमा रसीद जारी की गयी और अब तक शिकायतकर्ता को किराए के पैसे वापस नहीं किए गए. इससे इस्तेमाल में नहीं आए टिकटों के रिफंड को लेकर रेलवे की कार्यक्षमता की पूर्ण विफलता का पता चलता है.’ मंच ने कहा कि शिकायतकर्ता ने बताया कि रेलवे से उसे सूचना मिली कि सीट उपलब्ध नहीं है क्योंकि सूची तैयार नहीं की गयी. वहीं आईआरसीटीसी के जवाब से अलग ही चीज का पता चलता है. आईआरसीटीसी के अनुसार सूची बनने के बाद टिकट कंफर्म हो गए.
सीके चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि रेलवे की खराब सेवा की वजह से शिकायतकर्ता और दूसरे लोगों को परेशानी हुई. हम विपक्षी पार्टी को दोषी करार देते हैं और उसे टिकट का मूल्य, मुआवजा और कानूनी खर्चे को मिलाकर शिकायतकर्ता को 25,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देते हैं.’
दिल्ली के रहने वाले शिकायतकर्ता सुब्रत भौमिक ने कहा कि उन्होंने तत्काल सेवा के तहत 2 नवंबर, 2010 को छह टिकट लिए थे लेकिन रेलवे इंक्वायरी से उन्हें पता चला कि उनके टिकट कन्फर्म नहीं हुए. जब वह अपने टिकट के पैसे वापस लेने गए तब उन्हें बताया गया कि उनके टिकट कंफर्म हो गए थे. आरटीआई आवेदन से उन्हें पता चला कि सूची बनने के बाद उनके टिकट कन्फर्म नहीं हुए.
भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने अपने बचाव में कहा कि भौमिक का टिकट कन्फर्म हो गया था लेकिन उन्होंने तत्काल सेवा के तहत टिकट कराए थे, उन्हें नियमानुसार किराए के पैसे वापस नहीं किए जा सकते. उपभोक्ता मंच ने आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर आईआरसीटीसी की दलील खारिज कर दी.