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गुजरात चुनाव से पहले ट्रिपल तलाक पर कानून लाने के ऐलान के मायने

मंत्रियों के समूह की दूसरी बैठक भी शीघ्र होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्रिपल तलाक की कानूनी तौर पर कोई मान्यता नहीं रही है. लेकिन हकीकत ये है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ट्रिपल तलाक के मामले सामने आ रहे हैं.

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गुजरात चुनाव से पहले ट्रिपल तलाक पर कानून लाने के ऐलान के मायने
गुजरात चुनाव से पहले ट्रिपल तलाक पर कानून लाने के ऐलान के मायने

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन बार बोलकर तलाक देने की प्रथा को गैर कानूनी करार दिया जा चुका है. सर्वोच्च अदालत ने इसी फैसले की प्रक्रिया में केंद्र सरकार को कानून बनाने के लिए कहा था. सरकार इस पर बिल लाने की तैयारी कर रही है. बहुत मुमकिन है कि संसद के शीतकालीन सत्र में ही इस बिल को पेश कर दिया. इसी मुद्दे से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गौर करने की जिम्मेदारी मंत्रियों के एक समूह को सौंपी गई है. इसी समूह की गुरुवार को पहली बैठक हुई. गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, समाज कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत के अलावा कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी हिस्सा लिया.

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मंत्रियों के समूह की दूसरी बैठक भी शीघ्र होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्रिपल तलाक की कानूनी तौर पर कोई मान्यता नहीं रही है. लेकिन हकीकत ये है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ट्रिपल तलाक के मामले सामने आ रहे हैं. हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर की ओर से वाट्सअप पर इसी तरह तलाक दिए जाने की खबर सामने आई थी.  पीड़ित पत्नी पक्ष की ओर से पुलिस में शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस के सामने भी उलझन खड़ी हो गई जब आईपीसी में ट्रिपल तलाक को लेकर कोई धारा ही नहीं है तो वो किस तरह केस दर्ज करे. हालांकि अलीगढ़ पुलिस ने प्रताड़ना की अन्य धारा में केस दर्ज तो किया, साथ ही संबंधित पक्षों से संपर्क कर सुलह की कोशिशों की बात भी कही. लेकिन ट्रिपल तलाक को लेकर कानून की गैर मौजूदगी में पुलिस की असमर्थता को जाहिर हो गई.

दरअसल, ट्रिपल तलाक पर कानून लाने के राजनीतिक नफा नुकसान को देखते हुए मोदी सरकार कदम बढ़ा रही है. ट्रिपल तलाक के मामले में मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में इसे खत्म करने की वकालत की थी. सरकार की दलील थी कि ट्रिपल तलाक का ज़िक्र न तो कुरान में है और न ही सऊदी अरब, पाकिस्तान समेत दुनिया के 22 मुस्लिम देशों में इसका प्रचलन है. कुछ राजनीतिक टीकाकारों के मुताबिक मोदी सरकार की ओर से ये स्टैंड लेने पर बीजेपी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में फायदा हुआ था और मुस्लिम महिलाओं की ओर से भी बीजेपी को वोट दिए जाने की खबरें सामने आई थीं.

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अब गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक पर जल्दी कानून लाने की बात कही है. इसी संदर्भ में गुरुवार को मंत्रियों के समूह की बैठक हुई. बहुत संभव है कि चुनाव से पहले कानून के ड्रॉफ्ट को अंतिम रूप देकर कैबिनेट की मंजूरी ले ली जाएगी. फिर इसे 15 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा जिससे कि इसे जल्दी पास कराया जा सके. 

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