कुमार विश्वास प्रेम रस के कवि हैं, लेकिन आजकल वीर रस की राजनीति कर रहे हैं. उनका ताजा बयान बेशुमार तालियों का हकदार है कि वे अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे और न सिर्फ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, बल्कि बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को भी अमेठी से चुनाव लड़ना चाहिए. वे एक साथ राहुल और मोदी दोनों को हराना चाहते हैं. लोकतंत्र में उन्हें ऐसा करने और सोचने का अधिकार है. लेकिन वे जिस तरह से चुनौतियां उछाल रहे हैं, वह एक साथ वीर रस और हास्य रस पैदा कर रहा है.
कुमार लोकप्रिय कवि हैं और कवि सम्मेलनों में महफिल लूट लेने की कला में उनकी महारत असंदिग्ध है. लेकिन क्या वे इन दिनों भयानक आत्ममुग्धता के शिकार हैं? देश के नागरिक होने और चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र की शर्त पूरी करने के कारण वे देश की किसी भी और कितनी भी लोकसभा सीट के लिए चुनाव लड़ सकते हैं.
अमेठी में विश्वास चुनाव लड़ना चाहते हैं, इससे किसी को एतराज नहीं होना चाहिए. साथ ही, बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी को हराने के लिए वे उस सीट से भी पर्चा भर सकते हैं, जहां से नरेंद्र मोदी पर्चा भरेंगे. इससे भी किसी को शिकायत नहीं होनी चाहिए. लेकिन यह समझ पाना मुश्किल है कि वे नरेंद्र मोदी को अमेठी में ही क्यों हराना चाहते हैं? जबकि वे चाहें तो बनारस से लेकर लखनऊ या गांधीनगर से लेकर और कहीं भी इसकी कोशिश कर सकते हैं. वे मोदी को उनकी चुनी हुई सीट पर हराने के लिए मैदान में उतर सकते हैं.
वैसे विश्वास का यह आत्मविश्वास नया ही कहा जाएगा. राजनीति में अक्सर लोगों की याददाश्त ज्यादा नहीं होती, लेकिन क्या वह वाकया बहुत पुराना है, जब उन्होंने दिल्ली में बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर उतार गए हर्षवर्धन के खिलाफ चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. इस तरह उन्होंने दिल्ली में जाइंट किलर होने का मौका गंवा दिया.