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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे?

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को याचिका दायर करने वाले वकील से कहा कि वो जाकर रिसर्च करे और बताए कि कोई एक भी इंसान ऐसा है, जिसकी कभी आलोचना नहीं की गई हो.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गंभीर हो विषय तो सुनी जाएगी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गंभीर हो विषय तो सुनी जाएगी

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सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को याचिका दायर करने वाले वकील से कहा कि वो जाकर रिसर्च करे और बताए कि कोई एक भी इंसान ऐसा है, जिसकी कभी आलोचना नहीं की गई हो. याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट हाई प्रोफाइल सीनियर वकीलों की बातों को ज्यादा तरजीह देता है.

बड़े फैसलों से प्रभावित होते हैं वकील
याचिका में कहा गया कि बाकी वकील फैसलों से प्रभावित होते हैं. बड़े और मशहूर लोगों के मामलों की आसानी से सुनवाई हो जाती है. अभिनेता सलमान खान के हिट एंड रन केस का हवाला देते हुए कहा गया कि किस तरह बॉम्बे हाईकोर्ट ने सलमान की अपील को जल्द सुना और फैसला सुनाया, जबकि वो जमानत पर थे. वहीं कितनी ही अपील पर सालों से सुनवाई पर ही नहीं हो पाई हैं.

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गंभीर बहसों को सुनता है सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस शिव कीर्ति सिंह की बेंच एक वकील मैथ्यू नेदुम्पारा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि हर किसी का एक दायरा होता है. अगर कोर्ट ये चाहे कि देश से भ्रष्टाचार जड़ से खत्म हो जाए तो भी वो दायरे में रहकर ही आदेश जारी कर सकता है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा किसी को नहीं सोचना चाहिए कि कोर्ट सीनियर वकीलों की ही सुनता है. कोर्ट को किसी मामले का फैसला करने में वकीलों की दलील और बहस से ही मदद मिलती है चाहे वो सीनियर हो या जूनियर.

रिसर्च कर दें बिना आलोचना वाले शख्स की रिपोर्ट
सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने याचिकाकर्ता वकील को कहा कि वो एक रिसर्च कर रिपोर्ट दें कि क्या दुनिया में कोई ऐसा शख्स हुआ है, जिसे कभी आलोचना का सामना ना करना पड़ा हो. जस्टिस मिश्रा ने अपना ही केस बताया जब 1977 में वो वकालत कर रहे थे. इन्होंने कहा कि एक केस में उनकी दलीलों से जज प्रभावित हुए तो आधा घंटा तक बहस की इजाजत दी. उन्होंने कहा कि केस की सुनवाई हमेशा मामले की गंभीरता पर ही निर्भर करती है.

दायरे रहकर करना होता है काम
वहीं जस्टिस शिव कीर्ति सिंह ने कहा कि हर किसी का एक दायरा होता है और उसी दायरे में रहकर काम करना होता है. कोर्ट चाहता है कि देश में भ्रष्टाचार ना रहे लेकिन आदेश देने का भी दायरा है. वकील ने कहा कि उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है क्योंकि वो मलयालम मीडियम से पढ़े हैं. इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि वो खुद सरकारी स्कूल में उड़िया मीडियम से पढ़े हैं. फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया.

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