इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई पहली चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. आईबी के कुछ अधिकारियों की भूमिका को लेकर सीबीआई और आईबी के बीच घमासान जारी है लेकिन इसी बीच सीबीआई जांच पर सवाल उठाते हुए गृह मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने सरकार को खत लिखा है.
सरकार को ये चिट्ठी लिखी है गृह मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी आरवीएस मनी ने. इस वक्त शहरी विकास मंत्रालय में तैनात मनी ने सीबीआई पर आरोप लगाया है कि जांच अधिकारी कुछ खाली कागजों पर दस्तखत करवाकर मनचाहा बयान दिलवाने का दबाव बना रहे थे.
24 जून को लिखे खत में मनी ने एसआईटी के पूर्व अफसर और सीबीआई जांच में सहयोग कर रहे आईजी सतीश वर्मा को कठघरे में खड़ा किया है. हालांकि, सीबीआई ने मनी के आरोपों को खारिज कर दिया है.
गौरतलब है कि आरवीएस मनी ने गृहमंत्रालय की तरफ से गुजरात हाईकोर्ट में दो हलफनामा दिया था. 6 अगस्त 2009 को पहले हलफनामा में गृह मंत्रालय ने इशरत एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग का विरोध किया था. इसमें कहा गया था कि एनकाउंटर में मरने वाले लश्कर के आतंकवादी थे लेकिन अगले ही महीने यानी 30 सितंबर 2009 को गृहमंत्रालय ने अपने रुख में बदलाव करते हुए कहा कि मारे गए लोगों के बारे में ठोस जानकारी नहीं है कि वो आतंकवादी थे या नहीं. इसलिए गृह मंत्रालय को सीबीआई जांच पर कोई विरोध नहीं है.
उधर, मुंबई ने इशरत के परिवार ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि उन लोगों को धमकियां मिल रही हैं. पिछले दिनों देर रात को घर के बाहर आकर उन्हें डराने की कोशिश की गई थी.
गृहमंत्री का कहना है कि अगर इशरत का परिवार सुरक्षा मांगेगा, सरकार सुरक्षा मुहैया कराने के लिए तैयार है लेकिन, सरकार उस चिट्ठी का क्या करेगी जो केंद्रीय जांच एजेंसी पर लोगों के भरोसे को हिला रही है.