सीबीआई ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहायक अमित शाह से साल 2004 के इशरत जहां मुठभेड़ मामले में पूछताछ की है. शाह से यह पूछताछ एक आरोपी आईपीएस अधिकारी के इस दावे के बाद की गई है जिसमें उसने कहा था कि उस अवधि के दौरान गुजरात सरकार पुलिस की हर कार्रवाई की निगरानी कर रही थी.
सूत्रों ने बताया कि शाह से तब पूछताछ की गई जब जेल में बंद आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा ने अपने त्याग पत्र में दावा किया था कि गुजरात सरकार हर पुलिस कार्रवाई का बेहद करीब से ‘प्रेरित, मार्गदर्शन और निगरानी’ कर रही थी.
हालांकि, जब संपर्क किया गया तो एजेंसी अधिकारियों ने सूचना की पुष्टि करने से इनकार कर दिया. एजेंसी के प्रवक्ता से भी तत्काल कोई टिप्पणी नहीं मिली.
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई द्वारा साबरमती जेल में पूछताछ के दौरान वंजारा ने अपने त्याग पत्र में अपनाए गए रख को दोहराया है जिसमें उन्होंने कहा है कि विभिन्न मुठभेड़ मामले में आरोपी पुलिस अधिकारी महज राज्य सरकार की सचेत नीति को लागू कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि एजेंसी मुठभेड़ मामले के सिलसिले में पूरक आरोप पत्र दायर करेगी जिसमें मुठभेड़ मामले में साजिश और गुजरात सरकार के अधिकारियों द्वारा कथित ‘लीपापोती’ पर पूरक आरोप पत्र दायर करेगी.
वंजारा ने दावा किया था कि उन्होंने और अन्य आरोपी अधिकारियों ने ‘इस सरकार की सचेत नीति को लागू किया था, जो बेहद करीब से हमारी कार्रवाई को प्रेरित कर रही थी, उसका मार्गदर्शन कर रही थी और निगरानी कर रही थी.’ वंजारा साबरमती जेल में बंद हैं. वंजारा से उनके इस्तीफे की सामग्री के बारे में पूछताछ की गई थी जिसमें उन्होने मोदी पर हमला किया था.
59 वर्षीय पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक ने एक सितंबर को अपना त्याग पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने इस बात पर दुख जताया था कि मोदी सरकार उनके और अन्य अधिकारियों के पक्ष में खड़ा होने में विफल रही जिन्होंने आतंकवाद खत्म करने के लिए राज्य की सचेत नीति को लागू किया था.
शाह उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रभारी हैं. शाह के खिलाफ सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था और उन्हें जुलाई 2010 में पहले मामले में गिरफ्तार किया गया था. वह फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.