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CBI की चार्जशीट में खुलासा, फर्जी था इशरत जहां का एनकाउंटर, IB और पुलिस की मिलीभगत से हुई मुठभेड़

सीबीआई ने बुधवार को अहमदाबाद की स्‍पेशल कोर्ट में इशरत जहां एनकाउंटर केस में पहली चार्जशीट दायर कर दी है. चार्जशीट में इशरत के एनकाउंटर को फर्जी बताया गया है.

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Ishrat
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सीबीआई ने बुधवार को अहमदाबाद की स्‍पेशल कोर्ट में इशरत जहां एनकाउंटर केस में पहली चार्जशीट दायर कर दी. चार्जशीट में इशरत के एनकाउंटर को फर्जी बताया गया है. इसी के साथ इसमें गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नाम नहीं है, लेकिन सब्सिडियरी इंटेलीजेंस ब्यूरो (एसआईबी) तथा गुजरात पुलिस के अफसरों पर जांच एजेंसी की गाज गिरी है. सीबीआई ने पूर्व डीआईजी डीजी वंजारा समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया है.

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आखिरकार 9 साल बाद इशरत जहां एनकाउंटर का सच बाहर आ ही गया. सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दावा किया कि 15 जून, 2004 का एनकाउंटर, जिसमें गुजरात पुलिस और आईबी ने इशरत जहां समेत चार लोगों को आतंकवादी बताकर मारने का दावा किया था, फर्जी था.

सीबीआई चार्जशीट के मुताबिक इशरत जहां आतंकवादी नहीं थी. चार्जशीट में पूर्व आईपीएस जीएल सिंघल, इशरत एनकाउंटर का नेतृत्व करने वाले डीआईजी डीजी वंजारा, नरेंद्र अमीन, पीपी पांडेय, तरुण बरोट, अनाजू चौधरी और जेजी परमार को आरोपी बनाया गया है. मोहन कलासवा का भी नाम है, जिनकी मौत हो चुकी है. इन सभी पर अपहरण, आर्म्‍स एक्‍ट, हत्‍या और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए हैं. सीबीआई ने कोर्ट से कहा है कि पूरी साजिश गुजरात पुलिस और आईबी की मिलीभगत से हुई है.

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चार्जशीट में कहा गया है कि सीबीआई जांच में इस बात का पता चला है कि इशरत आतंकवादी नहीं थी और वो बेकसूर थी, लेकिन उसके तीन साथियों जावेद, अमजद अली राणा और जौशीन की गतिविधियां संदिग्‍ध थीं. इसी के साथ सीबीआई ने इस मामले में और जांच की जरूरत बताई है.

सीबीआई ने चार्जशीट में कहा है कि मुठभेड़ गुजरात पुलिस और सब्सिडियरी इंटेलीजेंस ब्यूरो (एसआईबी) का संयुक्त अभियान था और डीजी वंजारा ने पूरे एनकाउंटर की साजिश रची थी. सीबीआई के मुताबिक आईबी के विशेष निदेशक राजिंदर कुमार और एजेंसी के चार अधिकारियों के खिलाफ जांच जारी है. अब सवाल यह है कि अगर मुठभेड़ फर्जी थी तो किसको फायदा पहुंचाने के लिए इतनी बड़ी साजिश रची गई.

चार्जशीट में नरेंद्र मोदी और उनके करीबी अमित शाह का नाम नहीं है. लेकिन कहा जा रहा है कि सीबीआई बाद में इस मामले में सप्‍लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर सकती है, जिसमें मोदी और शाह का नाम हो सकता है.

चार्जशीट के मुताबिक गुजरात पुलिस और आईबी ने जीशान अली को अप्रैल में और अमजद अली को मई में अगवाकर अलग-अलग फॉर्म हाउस में रखा था. इसके बाद 11 जून 2004 को इशरत और जावेद शेख को अगवा कर दूसरी जगह रखा गया. सीबीआई के मुताबिक 12 और 13 जून को डीजी बंझारा, पीपी पांडेय और राजेंद्र कुमार के बीच मीटिंग हुई थी.

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बताते हैं कि इसी बैठक में एनकाउंटर पर फैसला हुआ. सीबीआई का दावा है कि 14 जून को वंजारा के निर्देश पर जीएल सिंघल सब्सिडियरी आईबी दफ्तर गए और एक बैग में हथियार इकट्ठा किए.

हालांकि बैठक में इशरत को लेकर अलग-अलग राय उभरी थी. एनकाउंटर के दिन जावेद, इशरत और जीशान को जावेद की कार से मौके पर लाया गया. कार एक पुलिस वाला चला रहा था. सीबीआई के मुताबिक गुजरात पुलिस ने एनकाउंटर को मैनेज किया.

सीबीआई के मुताबिक एनकाउंटर से पहले ही पुलिस ने एफआईआर भी ड्राफ्ट कर ली थी. सीबीआई का दावा है कि पूरी चार्जशीट जांच और सबूत पर आधारित है और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए उसके पास पुख्ता सबूत हैं. उनके पास 20 से 25 गवाह भी हैं.

फिलहाल यह शुरुआती चार्जशीट है. सीबीआई ने अदालत से सबूत जुटाने के लिए और वक्त देने की मांग की है. दो-तीन बाद फाइनल चार्जशीट दाखिल की जाएगी.

गौरतलब है कि 15 जून 2004 को अहमदाबाद के नरोडा इलाके में इशरत और उसके तीन दोस्तों को पुलिस ने मार गिराया था. गुजरात पुलिस का दावा था कि ये चारों मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से आए थे और वो मुठभेड़ में मारे गए थे. लेकिन अब सीबीआई ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताया है.

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इशरत जहां केस: कब क्‍या हुआ
9 साल पहले हुआ एक एनकाउंटर गुजरात के मुखिया नरेंद्र मोदी के लिए नासूर बन गया है. इस केस में मोदी सरकार पर लगातार उंगली उठती रही है. यही नहीं, मोदी सरकार के करीबी बताए जाने वाले एक पुलिस अधिकारी भी इस केस में जेल में हैं. जानिए इशरत जहां एनकाउंटर मामले में अब तक क्‍या-क्‍या हुआ.

15 जून 2004 की सुबह-सुबह खबर आई कि मोदी को मारने की साजिश रचने वाले मारे गए, अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच सुनसान सड़क पर गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने 4 लोगों को एनकाउंटर में मार गिराया. मरने वालों में मुंबई की रहने वाली 19 साल की ईशरत जहां भी थी, जिसका ताल्लुक लश्कर-ए-तैयबा से बताया गया. इशरत के अलावा मरने वालों में थे प्रनेश पिल्लै उर्फ जावेद गुलाम शेख, अमजद अली राना और जीशान जौहर. डीआईजी डीजी वंजारा की अगुवाई में पुलिस ने इन्हें मार गिराया था. ये वही डीजी वंजारा हैं जो बाद में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में भी फंसे.

इशरत जहां एनकाउंटर के कुछ ही दिन बाद इस पर सवाल उठने लगे थे, जिसकी वजह से मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस. पी. तमांग को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा गया. पांच साल की गहन छानबीन के बाद 7 सितंबर 2009 को तमांग ने 243 पन्नों की अपनी रिपोर्ट मेट्रोपोलिटन कोर्ट में सौंपी. तमांग की रिपोर्ट में इशरत जहां एनकाउंटर को फर्जी करार दिया गया. तमांग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि बंजारा की टीम ने इशरत जहां और उसके तीनों साथियों का कोल्ड ब्लडेड मर्डर किया है.

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9 सितंबर 2009 को गुजरात हाईकोर्ट ने तमांग की रिपोर्ट पर स्टे लगाते हुए जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया. हाईकोर्ट ने ये कहा कि जांच उसकी निगरानी में ही होगी. 2010 के सितंबर में एसआईटी प्रमुख आर.के. राघवन ने जांच करने से इनकार कर दिया. इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने नई एसआईटी बनाई.

नवंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार की अर्जी खारिज हो गई, जिसमें नई एसआईटी के गठन पर रोक की मांग की गई थी. 29 जुलाई 2011 को राजीव रंजन वर्मा को एसआईटी का नया चेयरमैन बनाया गया. नवंबर 2011 में एसआईटी प्रमुख राजीव रंजन की जांच रिपोर्ट के आधार हाईकोर्ट ने एनकाउंटर में शामिल लोगों के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. इन पर धारा 302 के तहत केस दर्ज किया गया.

दिसंबर 2011 को गुजरात हाईकोर्ट ने इशरत जहां एनकाउंटर केस की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया. 14 फरवरी 2013 को सीबीआई ने आईपीएस ऑफिसर जीएल सिंघल को गिरफ्तार किया. 9 दिन बाद यानी 23 फरवरी को सीबीआई ने दो और पुलिस अफसर जेजी परमार और तरुण बारोत को भी गिरफ्तार किया. एनकाउंटर में ये दोनो अफसर शामिल थे.

4 जून 2013 को सीबीआई ने इशरत जहां एनकाउंटर केस में आईपीएस डीजी वंजारा को जेल से गिरफ्तार किया. वंजारा की अगुवाई में ही एनकाउंटर को अंजाम दिया गया था. इशरत जहां एनकाउंटर की जांच को लेकर आईबी से चल रही तनातनी के बीच सीबीआई ने 13 जून 2013 को आईपीएस सतीश वर्मा को जांच टीम से हटा दिया. सतीश वर्मा एसआईटी का भी हिस्सा रहे थे.

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