इशरत जहां मामले में एक और ट्विस्ट आ गया है. सीबीआई जांच में सहयोग करने वाले आईपीएस ऑफिसर सतीश वर्मा ने मामले में चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि साल 2004 में गुजरात में हुआ ये एनकाउंटर इशरत जहां की पूर्व नियोजित हत्या थी.
उन्होंने कहा, 'हमारी जांच में पता चला है कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया था. गौर करने वाली बात ये है कि उस वक्त भी आईबी के पास इस बात के सबूत या संकेत नहीं थे कि एक महिला आतंकियों के साथ मिली हुई है. इन लोगों को गैर कानूनी रूप से कस्टडी में रखा गया और फिर मार डाला गया.'
SIT के सदस्य थे वर्मा
सतीश वर्मा मामले की जांच के लिए गुजरात हाई कोर्ट की ओर से बनाई गई स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT) के सदस्य भी थे.
महाराष्ट्र के मुंब्रा की रहने वाली इशरत जहां को उसके तीन अन्य साथियों के साथ अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को मार डाला गया था. आरोप लगाया गया था कि ये सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे. बीते सप्ताह पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा था कि लश्कर के इस समूह को 2004 में आईबी ने ही गुजरात आने का लालच दिया था.
गृह मंत्रालय पर उठाए सवाल
मौजूदा समय में शिलॉन्ग में NEEPO के चीफ विजिलेंस ऑफिसर पर तैनात आईजी रैंक के अधिकारी सतीश वर्मा ने कहा कि सुरक्षा और राष्ट्रवाद के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है वह इस अपराध में शामिल लोगों को बचाने के लिए हो रहा है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने मामले में शामिल आईबी अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया जबकि अदालतें पहले ही ऐसे मामलों में अनुमति की जरूरत न होने की बात कह चुकी है.
RVS मणि के दावों पर पलटवार
आईपीएस अफसर ने इशरत के संबंध में कहा कि वह मारे गए तीन अन्य लोगों में से एक जावेद शेख के संपर्क में कुछ दिन पहले आई थी. वह अपने घर से 10 दिनों के लिए दूर थी और इसी दौरान उन लोगों की मुलाकात हुई थी. गृह मंत्रालय में सेक्रेटरी रहे आरवीएस मणि के दावों को खारिज करते हुए वर्मा ने कहा, 'मणि को इस केस के संबंध में कोई डायरेक्ट जानकारी नहीं है.'
सूत्रों के मुताबिक, इशरत जहां मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर सतीश वर्मा सीबीआई की विशेष अदालत में अपील करेंगे.