गुजरात हाईकोर्ट ने फरार चल रहे पूर्व आईपीएस पी पी पांडेय को सोमवार को एक बड़ा झटका देते हुए इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति हर्षा देवानी ने पांडेय की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक स्तर का एक शीर्ष पुलिस अधिकारी होने के बावजूद वह फरार हैं, उनकी याचिका पर विचार नहीं होना चाहिए.
अदालत ने साथ ही कहा कि एफआईआर से एक संज्ञेय अपराध बनता है और पर्याप्त सबूत भी हैं क्योंकि चार आरोपियों में से तीन पहले पुलिस की हिरासत में थे. अदालत ने साथ ही कहा कि चूंकि सीबीआई आरोपपत्र दायर करने के आखिरी चरण में है इसलिए शिकायत को रद्द करने के लिए यह उचित समय नहीं है.
साल 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी पांडेय को यहां की एक सीबीआई अदालत ने 21 जून को भगोड़ा घोषित कर दिया था. उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्होंने केवल यह गुप्तचर सू़चना आगे बढ़ाई थी कि मुठभेड़ में मारे गए चार में से दो वे 'आतंकवादी' थे जो मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के लिए शहर में प्रवेश की योजना बना रहे थे.