9 साल पहले गुजरात में फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें कुछ अज्ञात लोगों ने धमकी दी है. इसके बाद गृह मंत्रालय ने कहा है कि अगर इशरत का परिवार सुरक्षा मांगता है तो वह सुरक्षा प्रदान करेगा. परिवार ने आरोप लगाया है कि कुछ अज्ञात लोग उन्हें डरा-धमका रहे हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने साफ कर दिया है कि अगर परिवार की ओर से सुरक्षा के संबंध में अनुरोध आता है तो इसपर यथाशीघ्र गौर किया जाना चाहिए. परिवार ने आरोप लगाया है कि खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए कुछ लोगों ने रात में ढाई बजे उनका दरवाजा खटखटाया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब भी वे बाहर निकलते हैं तो कारों से उनका पीछा किया जा रहा है.
मुंबई से सटे ठाणे जिले में मुंब्रा की रहने वाली 19 वर्षीय इशरत, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर की गुजरात पुलिस ने 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी हिस्से में फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी थी.
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि मुठभेड़ फर्जी थी और उसने हत्याओं के लिए गुजरात पुलिस की अपराध शाखा के सात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
मामले में प्रथम आरोप पत्र दायर करते हुए सीबीआई ने मुठभेड़ को गुजरात पुलिस और खुफिया ब्यूरो का संयुक्त अभियान बताया. उसने कहा कि खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार और तीन अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है.