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भारत में दो वाणिज्य दूतावासों पर हमले की आईएसआई की साजिश नाकाम

केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई ने भारत में दो विदेशी वाणिज्य दूतावासों पर आतंकवादी हमले की साजिश रची थी और इस बात के सबूत कथित तौर पर चेन्नई से गिरफ्तार किये गये एक श्रीलंकाई नागरिक से मिले हैं.

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केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई ने भारत में दो विदेशी वाणिज्य दूतावासों पर आतंकवादी हमले की साजिश रची थी और इस बात के सबूत कथित तौर पर चेन्नई से गिरफ्तार किये गये एक श्रीलंकाई नागरिक से मिले हैं. आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को दावा किया कि श्रीलंकाई नागरिक साकिर हुसैन ने जांचकर्ताओं को बताया कि कोलंबो में पाकिस्तान के उच्चायोग में एक अधिकारी ने चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास और बेंगलूर में इस्राइली वाणिज्य दूतावास का मुआयना करने की आईएसआई की कथित साजिश के अनुसार उसे काम सौंपा था. हुसैन को एक दक्षिण पूर्व एशियाई देश समेत अनेक देशों के समन्वित अभियान में 29 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था.

खबरों के अनुसार उसने जांच अधिकारियों को बताया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी मालदीव से दो लोगांे को चेन्नई भेजने की साजिश रच रही थी और उसे उनके यात्रा दस्तावेजों और रहने के ठिकानों का बंदोबस्त करना था. सूत्रों ने बताया कि हुसैन का नाम दक्षिण पूर्व एशिया के एक देश में जांच के दौरान सामने आया जिसने भारत में अमेरिकी तथा इस्राइली वाणिज्य दूतावासों पर संभावित हमलों के बारे में भारत में एक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी को गुप्त सूचना दी थी.

सूत्रों ने बताया कि गुप्त सूचना पर तुरंत हुसैन की निगरानी की गयी जो पड़ोसी देश श्रीलंका में लगातार अपना अड्डा बदल रहा था जिसके बाद अधिकारियों को उस देश की मदद मांगनी पड़ी. चेन्नई में हुसैन के पहुंचने के बाद उसे पकड़ा गया और पूछताछ की गयी जिसमें सूत्रों के दावे के अनुसार उसने दो वाणिज्य दूतावासों पर संभावित आतंकवादी हमले के बारे में बताया. खबरों के मुताबिक हुसैन ने पूछताछ के दौरान आमिर जुबैर सिद्दीक का नाम खुद को काम सौंपने वाले के तौर पर लिया जो कोलंबो के पाकिस्तान उच्चायोग में काउंसलर (वीजा) है. उसने यह भी कहा कि उसे इसलिए चुना गया क्योंकि वह मानव तस्करी, फर्जी पासपोर्ट बनाने और जाली भारतीय मुद्रा की तस्करी करने में शामिल था.

इस्राइली वाणिज्य दूतावासों की तस्वीरें जब्त
सूत्रों ने कहा कि अधिकारियों ने उसके पास से अमेरिकी और इस्राइली वाणिज्य दूतावासों की तस्वीरें जब्त की जिसमें दोनों के अनेक दरवाजों और उन तक जाने वाले रास्ते दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि ये तस्वीरें पाकिस्तान में उसके कथित आकाओं और कोलंबो में पाकिस्तान के उच्चायोग में मेल की गयीं. सूत्रों ने दावा किया कि साइबर हस्ताक्षर बताते हैं कि ये मेल कोलंबो में पाकिस्तान उच्चायोग के परिसर में एक कंप्यूटर पर डाउनलोड किये गये और श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ इसे साझा किया गया. श्रीलंका में पाकिस्तान उच्चायोग में प्रेस अताशे मुहम्मद दाउद एहतेशाम ने किसी भी हमले की साजिश में आईएसआई की कथित संलिप्तता के आरोपों को अटकलबाजी कहकर खारिज कर दिया. एहतेशाम ने कहा कि यह मीडिया का दुर्भावनापूर्ण प्रचार लगता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और उसकी संस्थाएं जिम्मेदार निकाय हैं और वे इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं होते.

सूत्रों ने दावा किया कि दोनों दूतावासों को जाने वाली सड़कों के बारे में एक ठीकठाक स्केच भी अपलोड किया गया और पीडीएफ स्वरूप में मेल किया गया. भारत द्वारा की जा रही जांच में मदद करने के लिए श्रीलंकाई अधिकारी भी अपने स्तर पर तफ्तीश कर रहे हैं और हुसैन के बयानों की पुष्टि कर रहे हैं. सिद्दीक खुफिया एजेंसियों के लिए नया नाम नहीं है क्योंकि 2012-13 में भी उसका नाम सामने आया था जब केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने त्रिची से कोलंबो की अकसर उड़ान भरने वाले तामीम अंसारी नामक शख्स को पकड़ा था.

आलू, प्‍याज श्रीलंका भेजता था अंसारी
अंसारी को 2012 में छह माह तक नजर रखने के बाद गिरफ्तार किया गया था. छोटे कारोबारी अंसारी के कोलंबो के एक तमिल भाषी मुस्लिम हाजी से संपर्क थे. अंसारी आलू, प्याज समेत अनेक चीजें श्रीलंका भेजता था. अंसारी का काम सही नहीं चल रहा था, इसलिए हाजी ने कथित तौर पर उसकी मुलाकात कोलंबो में पाकिस्तान मिशन में कार्यरत सिद्दीक से कराई. सिद्दीक ने उसका मन बदला और नगापट्टिनम बंदरगाह, वहां से आने जाने वाले जहाजों तथा मल्लीपट्टिनम के वीडियो लेने के काम पर लगाया. सूत्रों के मुताबिक आईएसआई की चाल थी कि अपनी साजिशों को अंजाम देने के लिए श्रीलंका के मुस्लिमों को काम पर लगाया जाए ताकि उनके इस काम में शामिल नहीं होने की बात लोग मान लें.

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