भारतीय जासूसी मामले से ताल्लुक रखने वाले जासूसों को रक्षा संबंधी जानकारी इकट्ठा करने के लिए बड़ी रकम चुकाई जाती थी. जांचकर्ताओं ने बाताया है कि बुधवार को भारत की कथित जासूसी केस में गिरफ्तार किए गए जासूसों को उनके काम के लिए काफी पैसा दिया जाता था.
अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के मुताबिक पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर रविंद्र यादव ने बताया कि हर बार कुछ जरूरी और बाकी बेकार के कागजातों का जत्था लाने वाले जासूसों को भारत में जासूसी के लिए 30 से 50 हजार रुपये महीने की रकम दी जाती थी. पाकिस्तान के उच्चायोग का कर्मचारी महमूद अख्तर जिसे जासूसी केस में आरोपी बताया जा रहा है वो अपने लोगों से राजस्थान और गुजरात में पैसे के लिए मशक्कत कर रहे लोगों को निशाना बनाने को कहता था.
राजस्थान के नागौर जिले की मस्जिद का मौलाना रामजान खान ऐसे ही जासूसों की लिस्ट में शामिल है. इस्लामिक उपदेशक रमजान मस्जिद की देखरेख के साथ 40 से 50 बच्चों को पढ़ाता भी था. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बाताया कि खान को मस्जिद की देखरेख के लिए 2000 और बच्चों को पढ़ाने के लिए 3000 रुपये हर महीने दिए जाते थे. जिसकी वजह से वो भारत में जासूसी का जाल बिछाने वालों के लिए आसान टारगेट बन गया.
जांचकर्ताओं के मुताबिक उसके जासूस बनने के पीछे इलाके में उसकी इमेज ने भी महत्वपूर्ण किरदार निभाया. खान के पास आने वाले लोगों की फेहरिस्त में सेना और बीएसएफ के कई रिटायर अफसर शामिल हैं. इतना ही नहीं भारत-पाक सीमा के पास रहने वाला खान इस इलाके से पूरी रतरहह वाकिफ भी था. कथित तौर पर महमूद ने खान से अपने संपर्क के आधार पर रक्षा संबंधी जानकारी जुटाने को कहा था और इसके लिए बड़ी रकम देने का वादा भी किया था.
जासूसी केस में गिरफ्तार किया गया दूसरा आरोपी सुभाष जांगीर भी आसान टारगेट रहा. बताया जा रहा है बिजनेस में मिली विफलता के साथ संघर्ष करने वाला जांगीर जासूसों की नजर में आ गया. जासूसी के जाल में शामिल होने के वक्त जांगीर एक किराने की दुकान चलाता था जिससे उसे मुनाफा नहीं हो रहा था.
जांचकर्ताओं ने बताया कि खान ने ही जांगीर को जासूसी के लिए मनाया था. जांगीर कर्ज में डूबा हुआ था और उसकी माली हालत ठीक नहीं थी जिसका फायदा उठाकर खान ने उसे इस काम के लिए राजी किया था.