ओबामा प्रशासन अगर ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा को रोकने के प्रति तेल अवीव को आश्वस्त नहीं करता तो इजरायल एक साल के भीतर ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला कर सकता है.
पत्रिका अटलांटिक के सितम्बर अंक में प्रकाशित होने वाली इस आशय की रिपोर्ट यहां दैनिक हेरेत्ज को हासिल हुई है. रिपोर्ट के अनुसार ‘अगले बसंत में किसी दिन इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार उजी अरद और इजरायल के रक्षा मंत्री एहुद बराक एक साथ व्हाइट हाउस और पेंटागन में अपने समकक्षों को टेलीफोन कर सूचित करेंगे कि उनके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने अभी-अभी इजरायली वायु सेना के करीब 100 एफ-15ई, एफ-16 सी तथा अन्य विमानों को ईरान की तरफ पूर्व में उड़ान भरने के निर्देश दिये हैं.’
रिपोर्ट में संभावित परिदृश्य को दर्शाते हुए कहा गया है कि विमान संभवत: सउदी अरब से गुजरते हुए संभवत: सीरिया और तुर्की की सीमा से होते हुए और संभवत: सीधे इराक की सीमा से होते हुए गुजर सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार इन हमलों का अंजाम ईरान के नातानज कोअम एस्फाहान और यहां तक कि बुशेहर में रूस निर्मित संयत्र पर बमबारी में देखा जा सकता है. {mospagebreak}
अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले से उसके परमाणु कार्यक्रम में कुछ विलंब हो सकता है लेकिन इराक और सीरिया के संयत्रों के खिलाफ विगत के सफल अभियान को देखते हुए कुछ इजरायली अधिक आशावादी हैं. लेख के लेखक जैफरी गोल्डबर्ग ने हाल के महीनों में इजरायली अमेरिकी और अरब अधिकारियों के साथ साक्षात्कार के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है. उन्होंने बताया कि ईरान पर इजरायली हमले की संभावना 50 प्रतिशत से अधिक है.
रिपोर्ट के अनुसार हमले के असर घातक होंगे. संभावना है कि इजरायली विमान अधिक समय ईरान में नहीं रहेंगे क्योंकि बदले की कार्रवाई में हिज्बुल्ला उसकी उत्तरी सीमा पर हमला बोल सकता है और उस सूरत में वहां लड़ाकू विमानों की जरूरत पड़ेगी. उसमें कहा गया है कि हमले के परिणामस्वरूप अमेरिका और इजरायली के रिश्तों में अभूतपूर्व संकट पैदा हो सकता है. इससे पूरे क्षेत्र में युद्ध की नौबत आ सकती है जिसमें कई जानें जायेंगी और उसका आर्थिक प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा.