भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organization - ISRO) के प्रमुख डॉ. के. सिवन ने कहा कि हम गगनयान (Gaganyaan) के जरिए सिर्फ इंसानों को अंतरिक्ष में नहीं भेजना चाहते. इसके जरिए हम दीर्घकालिक स्तर पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अवसर पैदा करना चाहते हैं. ये कई एजेंसियों, भारतीय वायुसेना और इसरो के बीच सहयोग की मिसाल है.
इसरो चीफ के. सिवन बुधवार को बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान ये सारी बातें बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि हम भविष्य में और काम करना चाहते हैं जिससे लोगों का भला हो. इसके लिए जरूरी है कि हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समझौते और सहयोग करें.
ISRO Chief K Sivan in Bengaluru: Gaganyaan Mission is not just about sending a human to space, this mission provides us an opportunities to build a framework for long term national and international collaborations & cooperation. pic.twitter.com/jyM26UuRov
— ANI (@ANI) January 22, 2020
गगनयान मिशन की महत्ता बताते हुए इसरो चीफ ने कहा कि हमें इस मिशन से खोज, आर्थिक विकास, शिक्षा, तकनीकी विकास और युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने में सफलता मिलेगी. ह्यूमन स्पेस फ्लाइट इन सभी जरूरतों के लिए सही मंच है.
जनवरी के तीसरे हफ्ते से रूस में शुरू होगी Gaganauts की ट्रेनिंग
इसरो चीफ के. सिवन ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तय की गई समय सीमा के तहत ही गगनयान मिशन को पूरा करेंगे. गगनयान 2022 में पृथ्वी की कक्षा में भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को लेकर चक्कर लगा रहा होगा.
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कुछ दिन पहले ही गगनयान के लिए चार अंतरिक्षयात्रियों का चयन हुआ है. इसी हफ्ते ये सभी भारतीय एस्ट्रोनॉट्स रूस जाएंगे. रूस में इन सबकी 11 महीने की ट्रेनिंग होगी. इसके बाद ये वापस आकर बेंगलुरु के पास स्थित ट्रेनिंग सेंटर में क्रू-मॉड्यूल की ट्रेनिंग लेंगे.
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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही भारतीय अंतरिक्षयात्रियों के खाने का मेन्यू भी सामने आया था. जिसमें एग रोल, वेज रोल, इडली, मूंग दाल हलवा और वेज पुलाव शामिल थे. यह खाना मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च इंस्टीट्यूट के द्वारा तैयार किया जा रहा है.
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अंतरिक्ष में खाना गर्म करने के लिए ओवन की व्यवस्था भी डीआरडीओ ही कर रहा है. अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पानी और जूस के साथ-साथ लिक्विड फूड की भी व्यवस्था रहेगी. ये सभी एस्ट्रोनॉट्स करीब सात दिनों तक पृथ्वी से 450 किलोमीटर ऊपर गगनयान में रहेंगे.