इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में देश के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-29 को बुधवार को सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया. इसरो के मुताबिक मौसम साफ होने की वजह से इसरो को संचार उपग्रह GSAT-29 की लॉन्चिंग में कोई परेशानी नहीं हुई.
इसरो के चेयरमैन के. सिवान के मुताबिक संचार उपग्रह जीसैट-29 पर एक खास किस्म का 'हाई रेज्यूलेशन' कैमरा लगा है. इस कैमरे को 'जियो आई' नाम दिया गया है. इससे हिंद महासागर में भारत के दुश्मनों और उनके जहाजों पर नजर रखी जा सकेगी. साथ ही इस संचार उपग्रह से जम्मू-कश्मीर समेत उत्तर-पूर्वी भारत के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिलेगी.
अपनी दूसरी उड़ान में जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट जीसैट-29 को भू स्थिर कक्षा में स्थापित करेगा. पूर्व में चक्रवात गाजा के चेन्नई और श्रीहरिकोटा के बीच तट पार करने का अनुमान जताया गया था, हालांकि इसके बाद इसरो ने कहा था कि लॉन्च का कार्यक्रम मौसम पर निर्भर है और अनुकूल परिस्थिति नहीं रहने पर इसे टाला जा सकता है.
Andhra Pradesh: Indian Space Research Organisation (ISRO) launches GSLV-MK-III D2 carrying GSAT-29 satellite from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota pic.twitter.com/9QPIzshi7R
— ANI (@ANI) November 14, 2018
जीसैट-29 उपग्रह उच्च क्षमता वाले का और कू-बैंड के ट्रांसपोंडरों से लैस है. इससे पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर सहित देश के दूर-दराज के इलाकों में संचार जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. इसरो ने कहा, 'श्रीहरिकोटा (यहां से 100 किलोमीटर से ज्यादा दूर) में जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट वाला जीसैट-29 बुधवार को लॉन्च हुआ.'
इसरो के मुताबिक जीएसएलवी मार्क थ्री-डी2 मिशन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बुधवार को संभवत: भारत के उच्च प्रवाह क्षमता वाले संचार उपग्रह जीसैट-29 को लॉन्च किया गया. इससे पहले अंतरिक्ष एजेंसी ने सोमवार को कहा कि लॉन्चिंग मौसम की स्थितियों पर निर्भर करेगा.
जीएसएलवी मार्क थ्री-डी2 भूमध्य रेखा के लिये जरूरी झुकाव के साथ उपग्रह को भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि उपग्रह में मौजूद प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए इसे अंतिम भूस्थैतिक कक्षा (जीईओ) में पहुंचाया जाएगा और प्रक्षेपक से अलग होकर निर्धारित कक्षा में पहुंचने में कुछ दिनों का वक्त लग सकता है.
जीसैट-29 एक संचार उपग्रह है जिसका वजन करीब 3,423 किलोग्राम है और इसे 10 साल के मिशन काल के लिहाज से डिजाइन किया गया है.