अब आतंकी गतिविधियों पर नजर रखेंगी अंतरिक्ष में तैनात हमारी इलेक्ट्रॉनिक खुफिया निगाहें. पाकिस्तान की सीमाओं पर किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट या मानवीय मूवमेंट पर नजर रखेगा इसरो का एमीसेट. एमीसेट को इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर बनाया है. इसरो इस उपग्रह को 1 अप्रैल को अंतरिक्ष में छोड़ेगा. अंतरिक्ष में इसकी तैनाती के बाद भारतीय रक्षा एवं निगरानी सेवाओं में कई गुना इजाफा हो जाएगा.
डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता और इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार एमीसेट एक मिलिट्री उपग्रह है. इसके जरिए सीमाओं पर तैनात दुश्मन के राडार और सेंसर पर निगरानी रखी जा सकती है. दुश्मन के इलाकों का सही इलेक्ट्रॉनिक नक्शा बनाने और दुश्मन के इलाके में मौजूद मोबाइल समेत अन्य संचार उपकरणों की सटीक जानकारी देगा एमीसेट.
बालाकोट में हुए एयरस्ट्राइक के बाद एनटीआरओ ने बताया था कि हमले के समय बालाकोट में 300 मोबाइल एक्टिव थे. लेकिन इस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. अब ऐसे सवाल नहीं उठेंगे. 24 जनवरी को भी इसरो ने डीआरडीओ के उपग्रह माइक्रोसैट-आर को लॉन्च किया था. यह सैटेलाइट रात में भी तस्वीरें लेने में सक्षम है.
🇮🇳 #ISROMissions 🇮🇳#PSLVC45 set to launch #EMISAT and 28 foreign satellites from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota on April 1, 2019, subject to weather conditions. Updates will continue. pic.twitter.com/xs5ZLT5Jt3
— ISRO (@isro) March 25, 2019
एमीसेट यानी दुश्मन के घर पर सीधी निगरानी
- सीमाओं पर तैनात दुश्मन के राडार और सेंसर्स पर निगरानी रखेगा.
- दुश्मन के इलाकों का सटीक इलेक्ट्रॉनिक नक्शा बनाने में मदद.
- सीमाओं पर मौजूद मोबाइल समेत अन्य संचार उपकरणों की सही जानकारी देगा.
- मोबाइल और संचार उपकरणों के जरिए होने वाली बातचीत को डिकोड करेगा.
एमीसेट के साथ छोड़े जाएंगे 28 विदेशी उपग्रह
इसरो 1 अप्रैल को सुबह 9:30 बजे पीएसएलवी-सी45 रॉकेट से एमीसेट के साथ 28 अन्य विदेशी उपग्रहों को भी लॉन्च करेगा. इसरो पहली बार इन सभी उपग्रहों को तीन विभिन्न ऑर्बिट में छोड़ेगा. एमीसेट 749 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाएगा. 28 विदेशी उपग्रह 504 किमी की ऊंचाई पर रहेंगे और पीएसएलवी रॉकेट का चौथा स्टेज पीएस-4 485 किमी की ऊंचाई वाले ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा.
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर में पीएसएलवी-सी45 रॉकेट की असेंबलिंग करते इसरो वैज्ञानिक.
पीएस-4 में होंगे तीन पेलोड
पीएस-4 एक प्रायोगिक प्लेटफॉर्म है. इसमें तीन पेलोड्स होंगे- ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम, ऑटोमैटिक पैकेट रिपीटिंग सिस्टम और एरीस. ये तीनों पेलोड्स अंतरिक्ष में विभिन्न प्रकार के प्रयोग करेंगे.
8 साल लगे एमीसेट को डेवलप करने में
एमीसेट के बारे में रक्षा मंत्रालय के वार्षिक रिपोर्ट 2013-14 में पहली बार जिक्र आया था. डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च लेबोरेटरी हैदराबाद ने इसे कौटिल्य प्रोजेक्ट के तहत आठ साल में बनाया है. हाल ही में इसरो चेयरमैन के. सिवन ने भी कहा था कि इसरो का पीएसएलवी-सी45 लॉन्च विशेष होगा.