भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने बुधवार श्रीहरिकोटा से एक ही उड़ान में एक साथ 20 सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च कर नया कीर्तिमान रचा है. इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की ये उड़ान सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर लॉन्च की गई. इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर वैज्ञानिकों को बधाई दी है.
अपनी 36वीं उड़ान में पीएसएलवी-C34 कार्टोसैट-2 श्रृंखला के 727.5 किलो के सैटेलाइट के साथ 19 दूसरे सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में लॉन्च किया. इसरो ने 20 सैटेलाइटों को एक साथ लॉन्च करके अपने पहले 10 सैटेलाइटों के लॉन्चिंग के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.
17 सैटेलाइट विदेशी, तीन देसी
पीएसएलवी-C34 की लॉन्चिंग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से श्रीहरिकोटा में की गई. भारतीय समय के अनुसार पीएसएलवी C-34 की लॉन्चिंग 22 जून को सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर की गई. पीएसएलवी सी-34 के 20 सैटेलाइटों में से 17 कमर्शियल सैटेलाइट हैं. यानी 17 सैटेलाइट दूसरे देशों के हैं जिन्हें भेजने के लिए इसरो ने उन देशों से फीस ली है. इसके अलावा दो सैटेलाइट देश के दो शिक्षा संस्थानों के हैं. इस लॉन्चिंग में एक सैटेलाइट कॉर्टोसैट 2 सीरीज का इसरो का अपना है.
PM ने दी बधाई, छात्रों के उत्साह पर खुशी
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर इसरो की इस सफलता के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी है. इसके साथ ही उन्होंने पुणे और चेन्नई के उन छात्रों के उत्साह की भी चर्चा की है, जिन्होंने सैटेलाइट के निर्माण में भूमिका निभाई है. पीएम ने लिखा है कि छात्रों का उत्साह देखकर वह बहुत खुश हैं.
Witnessed with immense pride and delight the brilliant moments on TV & took photos for my Instagram account. pic.twitter.com/lfGSkCUmjk
— Narendra Modi (@narendramodi) June 22, 2016
20 satellites in a go! @isro continues to break new barriers. Hearty congratulations to our scientists on the monumental accomplishment.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 22, 2016
Our space programme has time and again shown the transformative potential of science & technology in people's lives.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 22, 2016
Over the years we developed expertise & capability to help other nations in their space initiatives. This is the skill of our scientists.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 22, 2016
Saw with immense joy that students from institutions in Pune & Chennai played a role in the making of satellites. This touched me.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 22, 2016
As a common citizen, was totally immersed in happiness to see our youngsters excelling & taking so much interest in science.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 22, 2016
Andhra Pradesh: ISRO launches record 20 satellites from Sriharikota pic.twitter.com/57tUEyscve
— ANI (@ANI_news) June 22, 2016
सैटेलाइट के जरिये जमीन पर निगरानी
पीएसएलवी-C34 मिशन की लॉन्चिंग का मुख्य उद्देश्य कॉर्टोसैट 2 सीरीज के 727.5 किलोग्राम वजन का एक सैटेलाइट लॉन्च करना है. कॉर्टोसैट सैटेलाइट इसरो के अपने सैटेलाइट हैं और इन सैटेलाइटों का मुख्य मकसद धरती की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी तैयार करना है. कॉर्टोसैट में खास तरह के कैमरे लगे हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पातिक या भूगर्भीय परिवर्तन को बारीकी से पहचान सकेगा. इस सैटेलाइट के जरिए भारत ये सही सही जान पाएगा कि यहां पर किस तरह के और कितने जंगल हैं.
#WATCH: ISRO successfully launches record 20 satellites from Sriharikota (Andhra Pradesh)https://t.co/l3UlbcoIu5
— ANI (@ANI_news) June 22, 2016
इसरो के जरिये अब तक 57 विदेशी सैटेलाइट अंतरिक्ष में
नदियों के कटाव और पहाड़ों के उत्खनन के बारे में सटीक जानकारी भी इस सैटेलाइट के जरिए मिल पाएगी. कॉर्टोसैट के अलावा पीएसएलवी सी-34 मिशन में 19 सैटेलाइट और लॉन्च किए जा रहे हैं. इसरो के लिए इतने सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करना अपने आप में रिकॉर्ड है. इससे पहले इसरो 2008 में 10 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च किए थे. इसरो अबतक 57 विदेशी सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर चुकी है.
Andhra Pradesh: ISRO launches record 20 satellites from Sriharikota pic.twitter.com/t5FnVjfzq4
— ANI (@ANI_news) June 22, 2016
पीएसएलवी 34 मिशन में बाहरी देशों के जो सैटेलाइट भेजे जा रहे हैं वो इस प्रकार हैं:
इंडोनेशिया का LAPAN A-3
जर्मनी का BIROS
कनाडा का M3MSAT
यूएसए का स्काईसेट GEN 2-1
कनाडा का GHGSAT 3
यूएसए के 12 DOVE सैटेलाइट
एक सैटेलाइट गूगल का
इन सैटेलाइटों में स्काईसेट GEN 2-1 गूगल का सैटेलाइट है जिसको इमेजरी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा इस लॉन्चिंग में चेन्नई की एक निजी यूनिवर्सिटी का सत्यभामा सैटेलाइट और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का स्वयंम सैटेलाइट है. स्वयंम सैटेलाइट को हैम रेडियो के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, वहीं सत्यभामा सैटेलाइट का इस्तेमाल वायुमंडल में होने वाले प्रदूषण के अध्ययन के लिए किया जाएगा.