भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को दोपहर बाद 4.52 बजे नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-6 का प्रक्षेपण कर दिया. इसके लिए बुधवार सुबह से ही उलटी गिनती शुरू कर दी गई थी. 416 टन वजनी और 50 मीटर ऊंचे भारतीय रॉकेट जीएसएलवी के जरिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जीसैट-6 को लॉन्च किया गया.
जीएसएलवी रॉकेट में भारत में ही बना क्रायोजेनिक इंजन लगा है. इसे नॉटीब्वॉय नाम से पुकारा जाता है. हालांकि जीएसएलवी की सफलता का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है और इसके आधे से भी ज्यादा लॉन्च असफल रहे हैं. जीसैट-6 को लेकर जाने वाले वाले भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) डी6 को प्रक्षेपित करने का समय पहले से ही 27 अगस्त को शाम 4.52 बजे तय किया गया था. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसका प्रक्षेपण किया गया.
जीसैट-6 इसरो की ओर से बनाया गया भारत का 25वां भू-स्थैतिक संचार उपग्रह है. यह जीसैट सीरीज का 12वां उपग्रह है. इसरो ने कहा कि जीसैट-6 सामरिक उपयोगकर्ताओं के लिए सी-बैंड में एक राष्ट्रीय बीम और एस-बैंड में पांच स्पॉट बीमों के जरिए संचार सुविधा प्रदान करता है.
घनाकार जीसैट-6 का लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 2117 किलोग्राम है. इनमें प्रणोदकों का वजन 1132 किलोग्राम होता है और उपग्रह का शुष्क द्रव्यमान 985 किलोग्राम है. जीसैट-6 उपग्रह का एक अत्याधुनिक पहलू इसका एस-बैंड का खुलने लायक एंटिना है जिसका व्यास छह मीटर होता है. इसरो की ओर से तैयार किया गया यह सबसे बड़ा उपग्रह एंटिना है.