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विक्रम लैंडर से लगातार संपर्क साधने की कोशिश में लगे हैं इसरो वैज्ञानिक

चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से लगातार संपर्क स्थापित करने में लगे हैं. उन्हें उम्मीद है कि विक्रम लैंडर से संपर्क बनने के बाद कुछ प्रयोग किए जा सकते हैं. लेकिन, अभी विक्रम लैंडर के वह एंटीना दबा हुआ है जिसके जरिए लैंडर कमांड रिसीव करेगा.

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चांद पर सलामत है विक्रम लैंडर (फोटो- ISRO)
चांद पर सलामत है विक्रम लैंडर (फोटो- ISRO)

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  • ISRO ने अब तक नहीं छोड़ी है उम्मीद
  • लगातार कर रहे हैं विक्रम लैंडर से संपर्क

चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की चांद पर असफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद से अब तक इसरो के वैज्ञानिक उससे संपर्क साधने में लगे हुए हैं. इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि हम लैंडर के साथ संचार को फिर से स्थापित करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है. शनिवार को जब चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर लैंडर विक्रम था, उसी समय इसरो से संपर्क टूट गया था. रविवार को ISRO ने चांद की सतह पर लैंडर विक्रम के लोकेशन का फिर से पता लगा लिया. खुद इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने इसकी पुष्टि की. 

अपने पैरों पर फिर खड़ा हो सकता है विक्रम

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विक्रम लैंडर अपने तय स्थान से करीब 500 मीटर दूर चांद की जमीन पर गिरा पड़ा है, लेकिन अगर उससे संपर्क स्थापित हो जाए तो वह वापस अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. इसरो के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में वह टेक्नोलॉजी है कि वह गिरने के बाद भी खुद को खड़ा कर सकता है, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि उसके कम्युनिकेशन सिस्टम से संपर्क हो जाए और उसे कमांड रिसीव हो सके. हालांकि, इस काम के सफल होने की उम्मीदें सिर्फ 1 फीसदी ही है लेकिन इसरो वैज्ञानिकों का मानना है कि कम से कम एक प्रतिशत ही सही, लेकिन उम्मीद तो है.

इसरो के सूत्रों ने बताया कि विक्रम लैंडर के नीचे की तरफ पांच थ्रस्टर्स लगे हैं. जिसके जरिए इसे चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी. इसके अलावा, विक्रम लैंडर के चारों तरफ भी थ्रस्टर्स लगे हैं, जो अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान उसकी दिशा तय करने के लिए ऑन किए जाते थे.

ये थ्रस्टर्स अब भी सुरक्षित हैं. लैंडर के जिस हिस्से में कम्युनिकेशन एंटीना दबा है, उसी हिस्से में भी थ्रस्टर्स हैं. अगर पृथ्वी पर स्थित ग्राउंड स्टेशन से भेजे गए कमांड को सीधे या ऑर्बिटर के जरिए दबे हुए एंटीना ने रिसीव कर लिया तो उसके थ्रस्टर्स को ऑन किया जा सकता है. थ्रस्टर्स ऑन होने पर विक्रम एक तरफ से वापस उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो इस मिशन से जुड़े वे सारे प्रयोग हो पाएंगे जो पहले से इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को लेकर तय किए थे.

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वैज्ञानिकों के मुताबिक उनके पास लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए 11 दिन हैं. एक अनुमान के मुताबिक इसरो के पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 11 दिन हैं. क्योंकि अभी लूनर डे चल रहा है. एक लूनर डे धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. इसमें से 3 दिन बीत चुके हैं. यानी अगले 11 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा. उसके बाद चांद पर रात हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है. रात में उससे संपर्क करने में दिक्कत होगी. फिर इसरो वैज्ञानिकों को इंतजार करना पड़ेगा.

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