भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियान को परवान चढ़ाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. सात उपग्रहों से लैस भारतीय रॉकेट में ईंधन भरने का काम सोमवार सुबह तक पूरा हो जाएगा और शाम को श्रीहरिकोटा से इसे प्रक्षेपित किया जाएगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने बताया, 'उल्टी गिनती सुचारु और सामान्य रूप से चल रही है. चार स्तरीय रॉकेट के दूसरे स्तर में ईंधन भरने का काम कल (सोमवार) सुबह तक पूरा हो जाएगा.'
इसरो की 2013 में 10 अंतरिक्ष अभियानों की श्रंखला के पहले प्रक्षेपण का गवाह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी होंगे.
44.4 मीटर लंबे पोलर सेटेलाइट लांच वैकिल-सी20 (पीएसएलवी-सी20) रॉकेट अपने साथ 229.7 टन भार ले जाएगा. यह रॉकेट जिन सात उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित करेगा, उनमें एक भारत-फ्रांस का और छह विदेशी उपग्रह शामिल हैं.
सातों उपग्रहों का सम्मिलित भार 668.5 किलोग्राम है. उड़ान भरने से लेकर पृथ्वी से 794 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में सातों उपग्रहों को छोड़ने की संपूर्ण प्रक्षेपण प्रक्रिया में करीब 22 मिनट का समय लगेगा.
इस प्रक्षेपण की सफलता के साथ इसरो का विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाने का आंकड़ा 35 हो जाएगा.
वर्ष 1999 में इसरो ने अपने पीएसएलवी-सी2 रॉकेट से शुल्क लेकर तीसरे पक्ष के उपग्रहों को अंतरिक्ष तक पहुंचाने का काम शुरू किया था. तभी से भारत विदेशी एजेंसियों के मध्यम भार वाले उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण करता चला आ रहा है. शुरू में इसरो ने तीसरे पक्ष के उपग्रह को अपने दूर संवेदी/पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह के साथ सह यात्री के रूप में पीएसएलसी रॉकेट के साथ ढोना शुरू किया था.
बाद में वर्ष 2007 में इसरो ने एक इतालवी उपग्रह एगिले को शुल्क लेकर प्रक्षेपित किया.
वर्ष 1975 में रूसी रॉकेट के साथ आर्यभट्ट को अंतरिक्ष में भेजकर भारत ने अंतरिक्ष में कदम रखा था और तब से लेकर आज तक देश ने अपने 100 अंतरिक्ष अभियान पूरे किए हैं.
पीएसएलवी-सी20 सोमवार को 407 किलो वजनी भारत-फ्रांस उपग्रह एसएआरएएल (सेटेलाइट विथ आरगोस एंड आल्टिका) को मुख्य सामान के रूप में और छह अन्य उपग्रहों को पीठ पर लादे गए सामान के रूप में ले जाएगा.
एसएआरएएल उपग्रह समुद्री सतह की ऊंचाई का अध्ययन करेगा और इससे प्राप्त आंकड़े दोनों देश साझा करेंगे.