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पड़ोसियों के लिए सैटेलाइट लॉन्च करेगा भारत, PAK को छोड़ पूरे दक्षिण एशिया को होगा फायदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में काठमांडू में हुए सार्क सम्मेलन के दौरान इस सैटेलाइट की घोषणा करते हुए इसे भारत के पड़ोसियों के लिए उपहार बताया था. पहले इस सैटेलाइट का नाम 'सार्क सैटेलाइट' रखा गया था, लेकिन पाकिस्तान के इसमें शामिल ना होने से इसे 'साउथ एशिया सैटेलाइट' नाम दिया गया.

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सैटेलाइट लॉन्च करेगा भारत
सैटेलाइट लॉन्च करेगा भारत

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भारत जल्द ही पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए एक सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है, जो पाकिस्तान के अलावा बाकी सभी पड़ोसियों के लिए फायदेमंद होगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) 5 मई को 'साउथ एशिया सैटेलाइट' लॉन्च कर सकता है, जिसकी 2014 में घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने 'अपने पड़ोसी देशों के लिए उपहार' बताया था.

5 मई को श्रीहरिकोटा से होगी लॉन्चिंग
इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने बताया कि मई के पहले हफ्ते में सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना है और पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं है. इसरो सूत्रों के मुताबिक इस संचार सैटेलाइट (GSAT-9) को एजेंसी के GSLV-09 रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा.

12 वर्षों तक मिशन पर रहेगा सैटेलाइट
किरण कुमार ने बताया कि प्रक्षेपण के वक्त 2,195 द्रव्यमान का यह सैटेलाइट 12 केयू-बैंड ट्रांसपॉन्डर को ले जाएगा. किरण कुमार के मुताबिक पाकिस्तान इस परियोजना का हिस्सा नहीं बनना चाहता. सूत्रों की मानें तो इस सैटेलाइट को ऐसे डिजाइन किया गया है कि ये अपने मिशन पर 12 वर्षों तक सक्रिय रहेगा.

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पहले 'सार्क सैटेलाइट' रखा गया था नाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में काठमांडू में हुए सार्क सम्मेलन के दौरान इस सैटेलाइट की घोषणा करते हुए इसे भारत के पड़ोसियों के लिए उपहार बताया था. पहले इस सैटेलाइट का नाम 'सार्क सैटेलाइट' रखा गया था, लेकिन पाकिस्तान के इसमें शामिल ना होने से इसे 'साउथ एशिया सैटेलाइट' नाम दिया गया.

दक्षिण एशियाई देशों को समर्पित सैटेलाइट
इस सैटेलाइट का निर्माण संचार, आपदा सहायता और दक्षिण एशियाई देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है. इस प्रोजेक्ट में शामिल देशों को सैटेलाइट के जरिए DTH और आपदा के समय जानकारी साझा करने में सहायता मिलेगी.

जब इसरो ने लॉन्च किए 104 सैटेलाइट
सूत्रों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में शामिल देश अपने आंतरिक प्रयोग के लिए 36 से 54 मेगाहर्टज का ट्रांसपोंडर इस्तेमाल कर सकते हैं. फरवरी में एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर अंतरिक्ष एजेंसी ISRO एक रिकॉर्ड कायम कर चुकी है.

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