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इसरो करेगा 100वें उपग्रह PSLV-C40 का प्रक्षेपण, उल्टी गिनती शुरू

अपने इस 42वें मिशन के लिए इसरो भरोसेमंद कार्योपयोगी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी40 को भेजेगा जो कार्टोसेट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 30 सह-यात्रियों को लेकर कल सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर उड़ान भरेगा. इनका कुल वजन कुल वजन करीब 613 किलोग्राम है.

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इसरो करेगा अपने 100वें उपग्रह PSLV-C40 का प्रक्षेपण
इसरो करेगा अपने 100वें उपग्रह PSLV-C40 का प्रक्षेपण

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ग्रहों पर अध्यन करना हमेशा से ही दुनिया भर के लिए महत्वपूर्ण विषय है. भारत भी इस दौड़ में शामिल है. आपको बता दें अब से चंद घंटों के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने 100वें उपग्रह का प्रक्षेपण (लॉन्च) करेगा. यह उपलब्धि इसरो के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण होगी.

चेन्नई से 110 किलोमीटर दूर स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से इस 100वें उपग्रह के साथ 30 अन्य उपग्रह यानी कुल 31 उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किये जाएंगे. अपने इस 42वें मिशन के लिए इसरो भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी40 को भेजेगा जो कार्टोसेट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 30 सह-यात्रियों को लेकर कल सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर उड़ान भरेगा. इनका कुल वजन कुल वजन करीब 613 किलोग्राम है.

मिशन तैयारी समीक्षा समिति और प्रक्षेपण प्राधिकरण बोर्ड द्वारा तय की गई थी. इस मिशन के समय पर मुहर लगाए जाने के बाद इसरो ने कहा, “पीएसएलवी-सी40/ कार्टोसेट2 श्रृंखला के उपग्रह मिशन की 28 घंटे की उलटी गिनती आज सुबह पांच बजकर 29 मिनट (भारतीय समयानुसार) पर शुरू हो गई.” संस्थान ने बताया कि वैज्ञानिक फिलहाल उड़ान के विभिन्न चरणों के लिए प्रोपलेंट भराव के कार्य में लगे हुए हैं.

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आपको बता दें कि सह-यात्री उपग्रहों में भारत का एक माइक्रो और एक नैनो उपग्रह शामिल है जबकि छह अन्य देशों- कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के तीन माइक्रो और 25 नैनो उपग्रह शामिल किए जा रहे हैं. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से इस 44.4 मीटर लंबे रॉकेट को प्रक्षेपित किया जाएगा.

इसरो और एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हुए व्यापारिक समझौतों के तहत इन 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाएगा. यह 100वां उपग्रह कार्टोसेट- 2 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह होगा.

बता दें कि पिछले साल 31 अगस्त को भी इसी तरह के रॉकेट से उपग्रह आईआरएनएसएस-1H लॉन्च किया गया था, लेकिन इसकी हीट शील्ड न खुलने के कारण ये सैटेलाइट रॉकेट के चौथे चरण में ही असफल हो गया था.

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