scorecardresearch
 

ISRO ने लॉन्च किया GSLV मार्क 3, अब इंसान को अंतरिक्ष में भेजना होगा आसान

भारत अब तक के अपने सबसे वजनी और अगली पीढ़ी के रॉकेट 'भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान' (जीएसएलवी-मार्क3) का गुरुवार 18 दिसंबर को परीक्षण हुआ. यह यान अपने साथ क्रू मॉड्यूल भी लेकर जाएगा, लेकिन यह मानव रहित होगा.

Advertisement
X
जीएसएलवी-मार्क3
जीएसएलवी-मार्क3

भारत अब तक के अपने सबसे वजनी और अगली पीढ़ी के रॉकेट 'भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान' (जीएसएलवी-मार्क3) का गुरुवार 18 दिसंबर को परीक्षण हुआ. इस लॉन्च के साथ ही इंसान को अंतरिक्ष भेजना आसान हो जाएगा. यह यान अपने साथ क्रू मॉड्यूल भी लेकर जाएगा, लेकिन यह मानव रहित होगा.

Advertisement

वहीं, इसके लॉन्च के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई दी.

श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एम. वाई. एस प्रसाद ने बताया, 'रॉकेट के परीक्षण की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. परीक्षण से संबंधित सभी काम पूरे किए जा चुके हैं. रॉकेट का परीक्षण गुरुवार सुबह 9.30 बजे हुआ.' प्रसाद ने बताया कि 630 टन वजनी इस रॉकेट को तरल एवं ठोस ईंधन से ऊर्जा दी गई. उन्होंने बताया कि रॉकेट लांच की उल्टी गिनती के दौरान रॉकेट के तरल ईंधन इंजन में ईंधन भरा गया और निष्क्रिय क्रायोजेनिक इंजन को तरल नाइट्रोजन से भरा गया.

प्रसाद ने इससे पहले बताया कि रॉकेट की इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली को बुधवार देर रात एक बजे चालू गया. इस प्रायोगिक अभियान में 155 करोड़ रुपये की लागत आई है. परीक्षण में रॉकेट के साथ उपग्रह नहीं भेजा गया, क्योंकि वास्तविक क्रायोनिक इंजन इस समय निर्माणाधीन है. लगभग चार टन वजनी उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए तैयार किए गए रॉकेट को ऊर्जा आपूर्ति करने वाला वास्तविक क्रायोजेनिक इंजन इस समय निर्माणाधीन है और इसके दो सालों में तैयार हो जाने की उम्मीद है.

Advertisement

रॉकेट के साथ भेजे गए क्रू मॉड्यूल का परीक्षण इसके पुन:प्रवेश उड़ान और पैराशूट प्रणाली के सत्यापन के लिए किया गया. परीक्षण अभियान के तहत अंतरिक्ष में 126 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचने के बाद रॉकेट क्रू माड्यूल कैप्सूल को अलग कर देगा और इसके 20 मिनट बाद क्रू माड्यूल कैप्सूल पोर्ट ब्लेयर से 600 किलोमीटर एवं अंतरिक्ष केंद्र से 1,600 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में गिरेगा, जहां से भारतीय तट रक्षक या भारतीय नौसेना के जहाज उसे तट तक लाएंगे.

चार टन वजनी क्रू मॉड्यूल का आकार किसी विशाल कप केक के जैसा है, जो ऊपर से काले और बीच से भूरे रंग का है. भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक अधिकारी ने बताया कि यह किसी छोटे शयनकक्ष के आकार का होगा, जिसमें दो या तीन लोगों की जगह होगी. प्रसाद ने बताया कि बंगाल की खाड़ी से क्रू माड्यूल को लाने के बाद इसे पहले एन्नोर बंदरगाह पर लाया जाएगा और वहां से इसे श्रीहरिकोटा पहुंचाया जाएगा. श्रीहरिकोटा से क्रू मॉड्यूल को तरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) लाया जाएगा.

Advertisement
Advertisement