भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो उपग्रह प्रक्षेपण के मामले में अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूती के साथ कदम आगे बढ़ा रही है और इसकी वाणिज्यिक इकाई इस समय 8 विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण की तैयारी में है.
एजेंसी उपग्रहण आधारित दूरसंचार के लिए ट्रांसपोंडरों के मामले में भी अपनी क्षमता बढ़ाने के लिये विदेशों से उपग्रह खरीदने की संभावना पर भी गौर कर रही है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की विपणन इकाई अंतरिक्ष कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक के आर श्रीधर मूर्ति ने कहा, ‘‘आज, हमारे पास प्रक्षेपण के लिये 8 विदेशी उपग्रह हैं. इनका प्रक्षेपण अगले दो-तीन साल में किया जाएगा.’’ श्रीधर मूर्ति ने कहा कि इन उपग्रहों में छोटे और बड़े आकार के उपग्रह शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी को औपचारिक रूप से इनसे जुड़े अनुबंधों पर दस्तखत करना अभी बाकी है.
हालांकि, इनमें से एक अल्जीरिया का 150 किलो के उपग्रह को स्वदेश निर्मित पोलर सेटेलाइट लांच वीकल (पीएसएलवी) के जरिये अगले साल अप्रैल में प्रक्षेपण किये जाने का कार्यक्रम है. श्रीधर मूर्ति ने यह भी कहा कि इसरो विदेशी उपग्रहों को खरीदने की संभावना पर भी गौर कर रहा है. दरअसल, अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगी के जरिये एक उपग्रह के अधिग्रहण के लिये असफल बोली भी लगायी थी. अमेरिकी मंदी में दिवालिया हो चुकी एक कंपनी ने उपग्रह के लिये बोली आमंत्रित की थी. इंटेलसेट ने 21.0 करोड़ डॉलर में बोली जीती. इसरो अपने उपयोग की चीजों के इस्तेमाल के लिये 10 करोड़ डॉलर की राशि देने को तैयार था.
श्रीधर मूर्ति ने कहा कि यह कदम इसरो में बढ़ते विश्वास का संकेत है. इसरो ने ईएडीएस-ऑस्ट्रियम के साथ मिलकर हयलास (हाई डिफिनेशन टेलीविजन सेटेलाइट) अंतरिक्षण यान की प्रणालियों के समन्वय का ठेका भी हासिल किया है. अनुबंध के तहत ईएडीएस-ऑस्ट्रियम इसमें मुख्य अनुबंधकर्ता है. यह उपग्रह जून तक ब्रिटेन के एवेंटी स्क्रीनमीडिया के लिए तैयार किया जना है. अंतरिक्ष कारोबार के लाभ के बारे में श्रीधर मूर्ति ने कहा कि अंतरिक्ष कॉपरेशन की सालाना आय 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक उपग्रह प्रक्षेपण समेत पूरी लागत दे जाता है. अगर आप संचार उपग्रह का प्रक्षेपण करते हैं, तो इस पर लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत आती है. लेकिन, आमतौर पर यह अपने जीवनकाल में 800 करोड़ रुपये से 1,000 करोड़ रुपये की कमाई करता है.’’ अंतरिक्क्ष कापरेशन के प्रबंध निदेशक ने कहा कि अगर हम एक रुपया अंतरिक्ष में निवेश करते हैं, तो इससे जमीन पर 10 रुपये का कारोबार होता है.