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सांप्रदायिक हिंसा की आंच से सदन में गर्मी बढ़ी, कांग्रेस-बीजेपी ने एक-दूसरे पर मढ़ा दोष

देश में कथित रूप से बढ़ती सांप्रदायिक दंगों की आंच ने बुधवार को भी लोकसभा को गर्म रखा. मामले में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों के बीच जम कर तकरार हुई. दोनों ने एक-दूसरे पर धुव्रीकरण का एजेंडा आगे बढ़ाने का आरोप लगाया. विपक्ष ने आरोप लगाया कि बीजेपी और उससे जुड़े संगठन 'समाज को बांटने' का प्रयास कर रहे हैं, वहीं बीजेपी ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया.

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बीजेपी सांसद योगी आदित्‍यनाथ
बीजेपी सांसद योगी आदित्‍यनाथ

देश में कथित रूप से बढ़ती सांप्रदायिक दंगों की आंच ने बुधवार को भी लोकसभा को गर्म रखा. मामले में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों के बीच जम कर तकरार हुई. दोनों ने एक-दूसरे पर धुव्रीकरण का एजेंडा आगे बढ़ाने का आरोप लगाया. विपक्ष ने आरोप लगाया कि बीजेपी और उससे जुड़े संगठन सत्ता में बने रहने के लिए 'समाज को बांटने' का प्रयास कर रहे हैं, वहीं बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस अपने शासनकाल में हुए दंगों पर चर्चा क्‍यों नहीं करती है.

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कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद के दो महीनों में देश के विभिन्न हिस्सों में 600 से अधिक दंगे हुए हैं. खड़गे कांग्रेस के एमआई शनवास और मुहम्मद असरारूल हक की ओर से सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए प्रभावी तंत्र की जरूरत के बाबत चर्चा की शुरुआत कर रहे थे. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इसे रोका नहीं गया तो पछताना पड़ेगा.

खड़गे ने विहिप, बजरंग दल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का उल्लेख करते हुए कहा कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से 'सांप्रदायिक शक्तियां' उत्साहित हो गई हैं और उन्हें लगता है कि उनके पास राजनीतिक शक्ति है और वह उन्हें संरक्षण प्रदान करेगी. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे उन राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हो रही हैं जहां चुनाव होने वाले हैं.

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योगी आदित्‍यनाथ का पलटवार
दूसरी ओर, कांग्रेस के जुबानी प्रहार पर पलटवार करते हुए बीजेपी के योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'आप धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करते हैं, लेकिन आप सांप्रदायिकता का एजेंडा लागू करते हैं.' उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान हुए सांप्रदायिकदंगों में हजारों लोग मारे गए और साढ़े तीन लाख कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी बन गए. कांग्रेस पार्टी ने संसद में कभी उस पर चर्चा नहीं की.

'क्‍या पहले लाउडस्‍पीकर नहीं लगाए गए थे'
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि हम जनप्रतिनिधियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि देश के लोग सुरक्षित रहें, शांतिपूर्ण ढंग से रहें और विकास करें. ऐसा तंत्र बनाना चाहिए कि देश में सभी तरह की सांप्रदायिक हिंसा पर रोक लग सके. बीजेडी के तथागत सथपति ने कहा कि पिछली लोकसभाओं में अल्पसंख्यकों की पैरोकारी करने वालों ने वास्तव में उनका कितना खयाल रखा है, यह इस लोकसभा को देखकर स्पष्ट हो जाता है. उन्होंने कहा कि ईश्वर सबके हैं, किसी के निजी अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं. क्या पहले मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में लाउडस्पीकर नहीं लगाए गए थे. तब क्या ईश्वर नहीं था? ऐसी स्थिति को रोकने के लिए सांप्रदायिक सौहार्द प्राधिकार का गठन किया जाना चाहिए.

टीडीपी के एम श्रीनिवास राव ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते देश में सौहार्द बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है. सबसे बड़ी चुनौती गरीबी है. देश में सांप्रदायिक माहौल खराब होने के लिए वोट बैंक की राजनीति एक कारण है. उन्होंने कहा कि दुनिया में दो धर्म हैं, अमीर और गरीब. सांप्रदायिक हिंसा से केवल गरीब प्रभावित होता है.

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धर्म के ठेकेदार बना रहे धर्म को हथियार
माकपा के मोहम्मद सलीम ने कहा कि हमारा मकसद भावनाओं को भड़काना नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे रोकना होना चाहिए. लेकिन अधिकांश समय हम ऐसा करने में विफल रहे हैं. पिछले अनेक वर्षों में देश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं देखने को मिली हैं और यह समय-समय पर कम या अधिक रहा है. सलीम ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में यूपीए सरकार सांप्रदायिक हिंसा रोकने वाला विधेयक लाने में विफल रही, वहीं कुछ लोग धर्म के ठेकेदार बनकर धर्म को हथियार बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं.

एनसीपी के तारिक अनवर ने कहा कि लोग वोट बैंक की राजनीति की बात कर रहे हैं. देश में अल्पसंख्यकों विशेष तौर पर मुसलमानों को देश की मुख्यधारा से जोड़ना जरूरी है और इसके लिए ठोस पहल किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सच्चर समिति और रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि एक वर्ग विशेष के तुष्टीकरण के प्रयास नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया के हर धर्म को मानने वाले लोग हैं और इन सब को एक साथ सर्व-धर्म संभाव की भावना के साथ आगे ले जाने की जरूरत है.

आगे बढ़ाना तुष्टिकरण नहीं
आरजेडी के राजेश रंजन ने कहा कि देश में दलितों, आदिवासियों के साथ अल्पसंख्यकों की स्थिति काफी खराब है. अगर कोई उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करता है तो इसे तुष्टिकरण नहीं कहना चाहिए. उन्होंने कहा कि कभी भी दंगों को किसी ने भी सही नहीं ठहराया, तब पिछले दो महीनों में जो दंगे हुए उन्हें सही कैसे ठहराया जा सकता है.

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पीडीपी की महबूबा मुफ्ति ने कहा कि जब भी ऐसा कोई विषय उठता है तब प्‍वॉयंट स्कोर करने का प्रयास किया जाता है. देश में इतने अधिक दंगे हुए, लेकिन इन पर पूरी तरह से लगाम लगाने की पहल क्यों नहीं की गई. इसे रोकना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है, क्योंकि लोग सम्मान के साथ जीना चाहते हैं.

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