अलगाववादियों से मुलाकात दल के कार्यक्रम में शामिल नहीं थी और न ही यह सामूहिक फैसला था."/> अलगाववादियों से मुलाकात दल के कार्यक्रम में शामिल नहीं थी और न ही यह सामूहिक फैसला था."/> अलगाववादियों से मुलाकात दल के कार्यक्रम में शामिल नहीं थी और न ही यह सामूहिक फैसला था."/>
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों की कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात पर अपनी आपत्ति जताते हुए भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने आज कहा कि अलगाववादियों से मुलाकात दल के कार्यक्रम में शामिल नहीं थी और न ही यह सामूहिक फैसला था.
सुषमा ने कहा ‘यह उनका स्वयं का फैसला था, पूरे प्रतिनिधिमंडल का नहीं. अगर कोई जाना चाहता था, तो हम उन्हें कैसे रोक सकते थे? वे लोग गए, पर हमारा फैसला वहां नहीं जाने का था, इसलिए हम नहीं गए.’ सुषमा से संवाददाताओं ने पूछा था कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों ने अलगाववादी नेताओं से बातचीत की और कुछ नेता कल उनके घर जाकर उनसे मिले, इस बारे में उनकी क्या प्रतिक्रिया है.
प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों ने हुर्रियत के कट्टरपंथी और उदारवादी धड़े के प्रमुखों सय्यद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारुक से उनके घरों पर और जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक से उनके कार्यालय में मुलाकात की थी.
सुषमा ने कहा कि अलगाववादियों से मिलने के मुद्दे पर प्रतिनिधिमंडल में विभाजन का कोई प्रश्न नहीं था.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा ने कहा ‘प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों ने अलगाववादियों से मिलने की इच्छा जताई थी. कोई भी व्यक्तिगत तौर पर जा सकता था. उन्हें कोई रोक नहीं सकता था.’ उनसे पूछा गया कि क्या अलगाववादियों से मिलना दल के निर्धारित कार्यक्रम में शामिल था, जिसका सुषमा ने नकारात्मक जवाब दिया.
भाजपा की वरिष्ठ नेता ने कहा ‘नहीं, नहीं, यह निर्धारित नहीं था. इस बारे में प्रतिनिधिमंडल में विचार-विमर्श नहीं हुआ था. कुछ लोगों ने वहां जाने की इच्छा जताई, स्वाभाविक तौर पर प्रतिनिधिमंडल के मुखिया ने इस पर कहा कि आप जा सकते हैं.’ सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम कर रहे हैं.