लोकपाल मसौदा संयुक्त समिति में अन्ना हजारे पक्ष की ओर से शामिल अरविन्द केजरीवाल ने रामलीला मैदान में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि बेकसूर लोगों पर लाठीचार्ज ने दर्शा दिया है कि सरकार भ्रष्टाचार में ही लिप्त रहना चाहती है और उसके खिलाफ जो भी आवाज उठायेगा उसे कुचल देना चाहती है.
केजरीवाल ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अगर हमने सरकार को धोखेबाज झूठा और साजिशें रचने वाला कहा तो क्या गलत कहा.
केजरीवाल ने यहां राजघाट पर हो रहे हजारे के अनशन के दौरान कहा कि इस देश की जनता के साथ इतने वषरें से भ्रष्टाचार के रूप में धोखा हो रहा है. सरकार पहले प्रस्तावति लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री को लाने पर सहमति जता चुकी थी लेकिन बाद में वह पलट गई. इसके बाद शांति भूषण के संबंध में एक सीडी सामने आयी जो बाद में फर्जी पायी गयी.
उन्होंने सवाल किया कि क्या यह सब धोखेबाजी, झूठ और षडयंत्र नहीं है. ऐसे में जब हमने बाबा रामदेव से कहा कि सरकार धोखेबाजी कर सकती है तो क्या गलत कहा था.
केजरीवाल ने कहा कि पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने धोखेबाजी जैसे शब्दों पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि समाज के सदस्यों को इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिये और यह भी कहा था कि समाज के सदस्य साथ दें या न दें हम 30 जून तक लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार कर लेंगे.
उन्होंने कहा कि सरकार हमारे बिना लोकपाल विधेयक का मसौदा तो तैयार कर लेगी लेकिन प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में वह प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका और सांसदों के आचरण को शामिल नहीं करेगी.
केजरीवाल ने यह भी मांग की कि भाजपा, कांग्रेस सहित सभी दल उन्हें दान या चंदे में मिली राशि का ब्यौरा सार्वजनिक करें. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि अप्रैल में जंतर मंतर पर अन्ना के अनशन के दौरान हुए व्यय का हमसे ब्यौरा मांगा गया तो हमने 24 घंटे के अंदर उसे सार्वजनिक कर दिया था.
अन्ना हजारे को जंतर मंतर पर अनशन करने की सरकार से अनुमति नहीं दिये जाने को उन्होंने मूल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और कहा कि अन्ना 73 वर्ष के हैं और उनके अब तक के सभी आंदोलन शांतिपूर्ण रहे हैं.
केजरीवाल ने सवाल किया कि सरकार को ऐसी क्या आशंका थी कि निषेधाज्ञा का हवाला देकर हजारे को जंतर मंतर पर अनशन की अनुमति नहीं दी गयी. उन्होंने कहा कि यह शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र होने के लोगों के मूल अधिकारों का उल्लंघन है.