अपने दौर के सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती का मानना है कि एक बेहतरीन एक्टर बनने में वक्त लग जाया करता है. साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि हर समय कोई नंबर वन की कुर्सी पर नहीं रह सकता है. आज तक के कार्यक्रम 'सीधी बात' के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं.
बच्चों पर आधारित फिल्म 'चल चलें'
अपनी नई फिल्म 'चल चलें' के बारे में चर्चा छेड़े जाने पर उन्होंने कहा कि यह फिल्म बच्चों व उनकी भावनाओं पर आधारित है. इस फिल्म का कथ्य यही है कि बच्चों पर पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाब बनाया जाना गलत है. एक उम्र के बाद उन्हें खुद ही फैसले लेने का हक दे देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस विषय पर आज भी गंभीर फिल्में बनाने की किसी ने कोशिश नहीं की.
मां-बाप के अनादर की बात नहीं
यह पूछे जाने पर कि क्या वे बच्चों को मां-बाप के खिलाफ भड़का रहे हैं, तो उन्होंने कहा, नहीं. उन्होंने कहा कि वे बच्चों के हक की बात करते हैं, मां-बाप के अनादर की बात नहीं करते हैं. बच्चों को प्यार दें, उसकी इच्छा को महत्व दें. साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि बंगाल के लोग हक की लड़ाई लड़ते हैं.
बच्चों पर दबाव बनाना गलत
जब उनसे यह पूछा गया कि फिल्म में तो बच्चों से केस करवाया गया है, क्या यह पाश्चात्य सोच नहीं हैं, तो मिथुन चक्रवर्ती ने इस बात से साफ इनकार कर दिया. मिथुन दा का मानना है कि परीक्षा का परिणाम आने पर हर ओर से बच्चों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें सामने आने लगती हैं. ऐसा एकदम गलत है. बच्चों से हमेशा फर्स्ट आने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. बच्चों पर आज घर और समाज का दबाव बहुत ज्यादा है. उन्होंने स्वीकार किया कि यह समाज सुधार करने वाली फिल्म है.
अमिताभ जैसा नहीं है कोई
इस सवाल के जवाब में कि कई हिट फिल्मों के बाद वे अचानक 90 के दशक में गायब क्यों हो गए, उन्होंने कहा कि हर समय कोई नंबर वन की कुर्सी पर नहीं रह सकता है. अमिताभ बच्चन से अपनी तुलना किए जाने पर उन्होंने कहा कि वे (अमिताभ) हर दौर के बेहतरीन एक्टर हैं, यही सच्चाई है. वैसे कोई किसी की जगह नहीं ले सकता है. कोई ऐसा एक्टर नहीं है, जिसकी कोई फिल्म फ्लॉप न हुई हो.
गुटबाजी से है सख्त परहेज
शुरुआती दिनों की याद दिलाए जाने पर उन्होंने कहा कि वे गरीबी के दौर से उबरकर ही अभिनेता बने हैं. चूंकि हर वक्त अभिनय से ही काम नहीं चलाया जा सकता था, इसलिए उन्होंने बाद में होटल व्यवसाय और स्कूल के क्षेत्र में कदम रखा. बॉलीवुड में गुटबाजी की चर्चा छेड़े जाने पर मिथुन दा ने कहा कि वे हमेशा गुटबाजी और दूसरों की निंदा किए जाने के खिलाफ रहे हैं. उन्हें इसका कोई तजुर्बा नहीं है.