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...तो ये था चिड़ियों की आजादी का जश्न

प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के संबोधन के साथ ही तालियों की गड़गड़ाहट और उस पर चिड़ियों की चहचहाहट मानो परिंदे भी आजादी के जश्न के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन पर खुशी के गीत गा रहे हों.

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प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के संबोधन के साथ ही तालियों की गड़गड़ाहट और उस पर चिड़ियों की चहचहाहट मानो परिंदे भी आजादी के जश्न के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन पर खुशी के गीत गा रहे हों.

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एक ओर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री संबोधित कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर प्राचीर के आस-पास उड़ते तोते और कबूतरों की टोली बार-बार लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी.

एक तरफ प्रधानमंत्री खेत खलिहान और धरतीपुत्रों की बात कर रहे थे, वहीं दिल्ली की हरियाली भरी आबोहवा में उड़ते हरियाली के प्रतीक तोते आजादी का जश्न मनाते दिखे.

जब प्रधानमंत्री शांति और अमन की बात कर रहे थे, आकाश में उड़ते कबूतर भी शांति का दूत बनकर लोगों को अमन-चैन का संदेश दे रहे थे. तोपों की सलामी के समय आकाश में चिड़ियों के उड़ते झुंड को देखकर बच्चे तो बच्चे, बड़े भी आकाश को निहारे बिना नहीं रह सके.

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