भूकंप आने से पहले उसका पूर्वानुमान लगाए जाने में मौसम वैज्ञानिकों अब और ज्यादा मदद मिल सकेगी. वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की उपपरतों के हिलने से होने वाले 'स्लो फॉल्ट मूवमेंट' के आधार पर भूकंप का पूर्वानुमान लगाने का नया तरीका पता लगा लिया है. इस नई तकनीक का ईजाद करने वाली टीम का नेतृत्व भारतीय वैज्ञानिक ही कर रहे हैं.
स्लो फॉल्ट मूवमेंट से पूर्वानुमान में मदद
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि छोटे कंपन या 'स्लो फॉल्ट मूवमेंट' से रिक्टर पैमाने पर दो इकाई से कम के भूकंप के झटके के बाद बड़ा भूकंप आने की संभावना नहीं होती है. वहीं सिंगापुर
के नानयांग टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (एनटीयू) के रिसर्चर्स ने पाया कि ये कंपन भूकंप की ओर इशारा करते हैं. उन वैज्ञानिकों ने इन कंपन से भूकंप के पूर्वानुमान को समझने का बेहतर पैटर्न भी
खोज निकाला है.
दीपा मेले वीदू के नेतृत्व में हुई स्टडी
एनटीयू के 'एशियन स्कूल ऑफ द एनवायरनमेंट' के सिलवैन बारबोट और 'अर्थ ऑब्ज़रवेटरी ऑफ सिंगापुर' के एक पृथ्वी विज्ञान के रिसर्चर ने कहा कि यह खोज 'फॉल्ट' संचित होने और समय
के साथ दबाव कम होने के बारे में हमारी समझ के उलट इशारा करती है. बारबोट की पीएचडी छात्रा दीपा मेले वीदू के नेतृत्व वाली स्टडी का भूकंप का पूर्वानुमान लगाने के संबंध में काफी बड़ा
महत्व है. उनकी टीम ने कई बार भूकंप की सटीक पूर्वानुमान लगाया है और लोगों को राहत और बचाव में मदद की है.