भारत के लिए मिला जुला फैसला
ट्रिब्यूनल ने इस मामले में भारत के क्षतिपूर्ति के दावे को स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने कहा है कि भारत मछुआरों की मौत के लिए मुआवजे का हकदार है और हर्जाने की राशि तय करने के लिए भारत इटली से बात कर सकता है.
पढ़ें- जवानों की हौसलाअफजाई के लिए नीमू फॉरवर्ड पोस्ट पहुंचे PM मोदी, देखें तस्वीरें
अदालत में अपने बचाव में इटली के मरीन्स ने कहा कि उन्होंने भारत के मछुआरों को भूलवश 'समुद्री लुटेरा' समझ लिया था और फायरिंग की थी. इटली ने कहा कि उनके नौसैनिकों ने अतंरराष्ट्रीय जलसीमा में फायरिंग की थी.
जजों ने दिया था ये फैसला
भारत ने अपने पक्ष में दलील में कहा था कि हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन को इस मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है. हालांकि अदालत के पांच में से 4 जजों ने फैसला दिया कि परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन को इस मामले में सुनवाई का अधिकार है. इसके अलावा 2 के मुकाबले 3 जजों ने कहा है कि नौसैनिक मैसिमिलियानो लातोरे और सलवातोरे गिरोने के भारत में सुनवाई से इम्युनिटी हासिल है. इटली ने कहा कि उसके नौसैनिक घटना के वक्त देश के अधिकारी थे और देश के लिए काम कर रहे थे. अब इस मामले की सुनवाई इटली में होगी.
पढ़ें- 'Sheshnag' ने तोड़ा 'Super Anaconda' का रिकॉर्ड, Indian Railway ने रचा नया इतिहास
क्या हुआ था 15 फरवरी 2012 को
बता दें कि 15 फरवरी 2012 को इटली के नौसैनिक मैसिमिलियानो लातोरे और सलवातोरे गिरोने भारत की समुद्री सीमा से गुजर रहे एक समुद्री जहाज पर सवार थे. दोनों ने भारतीय मछुआरों पर फायरिंग कर दी थी. इस घटना में दोनों मछुआरों की मौत हो गई थी.