इटली के दो मरीनों के वापस भारत न लौटने के मुद्दे पर आलोचना झेल रही यूपीए सरकार ने कड़े तेवर अख्तियार कर लिए हैं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगर इटली ने भारतीय मछुआरों की हत्या करने वाले अपने दो मरीनों (नौसैनिकों) को भारत वापस भेजने के अपने आश्वासन को पूरा नहीं किया तो इसके परिणाम भुगतने होंगे.
सिंह ने लोकसभा में प्रश्नकाल के बाद सदस्यों द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर कहा, ‘इसमें दो राय नहीं हो सकती कि इटली सरकार ने जो किया है, वह उचित नहीं है. हमारी सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि इटली का यह व्यवहार स्वीकार्य नहीं है. उसने सुप्रीम कोर्ट को दिये गये आश्वासन का उल्लंघन किया है.’
उन्होंने कहा कि इन मरीनों को भारत वापस भेजे जाने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट को इटली द्वारा दिये गये आश्वासन का जिस तरह उल्लंघन किया गया है, वह द्विपक्षीय रिश्तों के हित में नहीं है.
सिंह ने कहा, ‘हमने इटली सरकार से कह दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट में दिये गये हलफनामे का सम्मान करते हुए दोनों मरीनों को वापस भेजे. यदि वापस नहीं भेजा जाता है तो इसके परिणाम भुगतने होंगे.’
गौरतलब है कि इटली के इन दो मरीनों ने भारतीय समुद्री क्षेत्र में भारत के दो मछुआरों की कथित रूप से गोली मारकर हत्या की थी जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. इससे पहले इन दो मरीन को क्रिसमस और नव वर्ष मनाने अपने देश जाने की अनुमति अदालत ने दी थी.
इटली की ओर से हलफलनामा दिया गया था कि दोनों मरीन भारत लौट आएंगे और वे लौट भी आये थे. लेकिन इटली में चुनाव के दौरान मतदान के लिए इन्हें फिर अपने देश जाने की इजाजत दी गयी थी.
इटली के राजदूत ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि दोनों मरीन चुनावी प्रक्रिया के बाद वापस भारत लौट आएंगे लेकिन अब इस आश्वासन का उल्लंघन करते हुए इटली ने ऐलान किया है कि दोनों मरीन भारत नहीं भेजे जाएंगे.
शून्यकाल में बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने यह मामला उठाते हुए कहा कि इटली के इन दो मरीन ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में नहीं बल्कि भारतीय समुद्री क्षेत्र में और हमारे तट के निकट देश के दो मछुआरों की गोली मारकर हत्या कर दी और बाद में कहा कि उन्होंने इन मछुआरों को समुद्री दस्यु समझकर मारा था.
उन्होंने कहा कि भारतीय तट पर समुद्री दस्यु की कोई समस्या नहीं है और न ही जिस पोत पर ये इतालवी मरीन सवार थे, उस पर उनके देश का ध्वज लगा था इसलिए वे इस तरह की कार्रवाई करने के हकदार भी नहीं थे. सिंह ने इस बात को हैरानी भरा बताया कि पहले क्रिसमस और नव वर्ष तथा बाद में इटली में मतदान में भाग लेने के नाम पर हत्या के इन आरोपियों को इटली जाने दिया गया.
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या भारतीय जेलों में बंद कैदियों को होली, दीवाली या ईद के समारोह मनाने के लिए जेल से छोड़ा जाता है या उन्हें चुनाव के समय मतदान में भाग लेने के लिए जाने दिया जाता है? अगर ऐसा नहीं है तो इतालवी मरीनों के साथ ऐसा विशेष व्यवहार क्यों किया गया? सिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इटली के राजदूत के आश्वासन पर इन मरीन को उनके देश जाने दिया लेकिन उसमें प्रावधान था कि इटली में रहते हुए भी वे वहां की पुलिस की हिरासत में रहेंगे.
उन्होंने कहा कि विदेशियों के साथ इस तरह का विशेष व्यवहार देश में पहले भी हो चुका हैं. भोपाल गैस कांड के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भी देश से जाने दिया गया. पुरूलिया में हथियार गिराने के मामले के आरोपियों को भी सजा पूरी किये बिना उनके देश भेज दिया गया. यही नहीं इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि को भी दिल्ली से भागने में सीबीआई ने मदद की.
सिंह ने कहा कि इतालवी सरकार ने मरीन के बारे में सुप्रीम कोर्ट को दिये आश्वासन को तोड़ने का जो बर्ताव किया है, उसे सरकार को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री से ये बताने की मांग की कि इटली के इस आचरण से उत्पन्न इस मामले को उनकी सरकार दुरूस्त कैसे करेगी. साथ ही कहा कि वियना संधि के नाम पर भारत के संविधान का उल्लंघन नहीं किया जा सकता.
माकपा के बासुदेव आचार्य ने सवाल किया कि जब इटली में डाक से मतदान की व्यवस्था है तो भारत सरकार ने दोनों मरीन को मतदान करने के नाम पर क्यों जाने दिया? उन्होंने कहा कि भारत स्थित इटली के राजदूत के आश्वासन पर सुप्रीम कोर्ट ने इन मरीन को मतदान के लिए जाने की इजाजत दी थी लेकिन चूंकि भारत लौटने के आश्वासन को इटली ने अब तोड़ दिया है तो भारत सरकार राजदूत के खिलाफ क्या कार्रवाई करने जा रही है?
आचार्य ने भी पुरूलिया हथियार कांड और क्वात्रोच्चि का नाम उठाते हुए कहा कि भारत एक संप्रभु देश है और उसे विदेशी अपराधियों के मामलों में उनकी सरकारों के आगे इस तरह नहीं झुकना चाहिए जिससे देश के आत्मसम्मान को आघात पहुंचे.
इससे पहले प्रश्नकाल में भी प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मामले में इतालवी अधिकारियों के व्यवहार से सदन और देश आंदोलित है. उन्होंने कहा कि वह इस विषय पर सदस्यों की चिंता को साझा करते हैं. उन्होंने कहा कि वह इस मामले में किसी भी तरह की चर्चा के लिए तैयार हैं.