आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के तीन जवानों का दुनिया की सातवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट धौलागिरी फतह करने का सपना अधूरा रह गया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनका एक साथी बीमार पड़ गया. जिसके चलते ये जवान अपना सपना पूरा नहीं कर पाये.
दरअसल ये सभी जवान नेपाल स्थित 8167 मीटर ऊंची इस चोटी को फतह करने के लिए आगे बढ़ रहे थे. इसी दौरान ग्रुप के एक साथी कृष्णा प्रसाद गुरुंग की तबीयत खराब हो गई. अपने साथी से मिलने के बाद यह तीनों लगभग 50 घंटों तक बिना खाए पिये ज़ीरो डिग्री तापमान में संघर्ष करते रहे. बाद में किसी तरह बेहद बुरे हाल में अपने बेस कैंप पहुंच पाए. धौलागिरी पर्वत पर आईटीबीपी के पर्वतारोही पहली बार आरोहण करने जा रहे थे. इस अभियान में कुल 25 सदस्य शामिल थे. धौलागिरी पर पहली बार वर्ष 1960 में स्विस-ऑस्ट्रियन-नेपाली अभियान ने सफल आरोहण किया था.
हाथ और पैरों में फ्रस्टबाइट्स से पीड़ित जवानों को हेलिकॉप्टर की मदद से एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है. इसमें से हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र सिंह और कॉन्स्टेबल बिमान बिस्वास नाम के दो जवानों को ऑक्सीजन थेरेपी से ठीक करने की कोशिश की जा रही है. दस मार्च को आईटीबीपी के इन जवानों ने अपनी इस मुहिम की शुरुआत दिल्ली से ही की थी.
आईटीबीपी ने 200 से अधिक पर्वत शिखरों पर देश का ध्वज फहराने का गौरव हासिल किया है. आईटीबीपी के पर्वतारोहियों ने 1984, 1992, 1996, 2006 और 2012 में माउण्ट एवरेस्ट पर फतह हासिल की थी. अब तक आईटीबीपी के 24 अधिकारी और जवान माउण्ट एवरेस्ट पर कामयाब चढ़ाई कर चुके हैं.