वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने दागियों की संसद सदस्यता बचाने वाले अध्यादेश को वापस लिए जाने का श्रेय प्रणब मुखर्जी को दिया है. उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि अध्यादेश वापसी का श्रेय कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को नहीं, प्रणब दा को जाता है.
'राहुल ने नहीं दी एक भी दलील'
आडवाणी के मुताबिक, राहुल ने अध्यादेश के विरोध में एक भी दलील नहीं दी. उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा है, 'राहुल ने अपनी साढ़े तीन मिनट की स्पीच में सिर्फ इतना कहा कि अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए. गुस्से के इस इजहार में ऐसा कौन सा तर्क था जिस पर प्रधानमंत्री अपनी कैबिनेट में चर्चा करना चाहते थे.'
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'BJP ने प्रणब को सौंपी थी चिट्ठी'
आडवाणी ने अध्यादेश पर बीजेपी के स्टैंड पर भी सफाई दी. उन्होंने लिखा कि 26 सितंबर की शाम को सुषमा स्वराज और अरुण जेटली समेत कई बीजेपी नेता राष्ट्रपति के पास गए थे और उन्हें चार पन्नों की चिट्ठी सौंपी थी. उस चिट्ठी में लिखा हुआ था कि हमें यह अध्यादेश क्यों असंवैधानिक और अनैतिक लगता है.
'राष्ट्रपति से मिलना था, पर वह बाहर गए थे'
आडवाणी ने लिखा है, 'मुझे याद है कि 24 सितंबर को जब कैबिनेट ने अध्यादेश को हरी झंडी दिखाई, तो सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके साफ कर दिया था कि बीजेपी इसके विरोध में है. थोड़ी ही देर बाद उन्होंने मुझसे बात की और हमने तय किया कि राष्ट्रपति से मिलकर अध्यादेश पर हस्ताक्षर न करने की अपील करेंगे. जब सुषमा ने राष्ट्रपति से मिलने का समय लेना चाहा तो पता चला कि वह पुडुचेरी चले गए हैं और 26 सितंबर को शाम 4 बजे लौटेंगे.'
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'राष्ट्रपति ने तभी दे दिए थे दखल के संकेत'
आडवाणी के मुताबिक, 'हम शाम 5:30 बजे राष्ट्रति से मिले और 45 मिनट तक उनसे बात की. बैठक के अंत में हमें उनकी ओर से साफ संकेत मिल गए कि स्थिति में वह दखल देंगे.'
थोड़ी ही देर बाद टीवी चैनलों ने खबर चलानी शुरू कर दी कि राष्ट्रपति ने शिंदे, सिब्बल और कमलनाथ को तलब किया है. आडवाणी ने लिखा है कि इससे साफ हो गया कि राष्ट्रपति ने अपना काम शुरू कर दिया है.
सोनिया ने किया डैमेज कंट्रोल !
आडवाणी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर डैमेज कंट्रोल करने का आरोप लगाते हुए लिखा है, 'लगता है कि इन मंत्रियों से कहा गया होगा कि अगर राष्ट्रपति ने अध्यादेश को हस्ताक्षर किए बिना लौटा दिया तो यह सरकार के लिए बड़ा झटका होगा. हो सकता है कि इसके बाद राहुल को आगे लाकर सोनिया जी ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की हो.'
सरकार के इस फैसले पर तंज करते हुए आडवाणी ने लिखा, 'साफ है कि सरकार डैमेज कंट्रोल भी ठीक से नहीं कर पाई. उनका मकसद पूरा हो जाता अगर राहुल सिर्फ इतना कह देते कि सरकार को अपने फैसले पर दोबारा सोचने की जरूरत है.'
सोनिया की जिम्मेदारी भी बनती है
आडवाणी ने लिखा है कि 'नॉनसेंस' सुर में सुर मिलाते हुए अगर कैबिनेट ने अध्यादेश वापस ले लिया तो इसकी जिम्मेदारी सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों की ही नहीं है, सोनिया जी की भी है.'
आडवाणी ने लिखा है कि अमेरिका से लौटते हुए विशेष विमान में एक पत्रकार से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने खुद बताया था कि 21 सितंबर को वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक में अध्यादेश को हरी झंडी दिखाई गई. इस बैठक में सोनिया गांधी भी मौजूद थीं.