लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान ने गुरुवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियां अन्य राज्यों से अलग हैं. इसलिए देश के संविधान के तहत जहां तक स्वायत्तता देना संभव है, जम्मू-कश्मीर को मिलनी चाहिए.
जम्मू-कश्मीर दौरे पर गयी सर्वदलीय समिति में शामिल पासवान ने संवादतदाताओं से कहा कि कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा है, इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता. मगर वहां की परिस्थितियां अन्य राज्यों से अलग है. इसलिए देश के संविधान के तहत जहां तक स्वायत्तता देना संभव है, जम्मू-कश्मीर को दी जानी चाहिए.
पासवान ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को काफी खराब बताते हुए कहा कि लोगों का विश्वास सरकार से उठ सा गया है और इसका सबसे बड़ा कारण वहां 11 जून से शुरू हुई घटनाओं का सिलसिला है. उन्होंने कहा, ‘हम इस नतीजे पर पहुंचे कि सबसे पहला काम लोगों के मन में विश्वास का वातावरण पैदा करना जरूरी है और इसके लिए सरकार को आंदोलन से संबंधित हुर्रियत सहित सभी नेताओं से खुले जेहन से बातचीत करनी चाहिए.’
पासवान ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत जो भी जेल में बंद हैं उन्हें रिहा किया जाना चाहिए और कर्फ्यू के दौरान दवा की दुकान खुली रहने और बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए स्कूल-कालेज को मुक्त रखना चाहिए. लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने कहा कि आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट को वापस लिए जाने की मांग करते हुए कहा कि सेना को सीमा क्षेत्र में अथवा आतंक प्रभावित क्षेत्रों में लगाया जाना चाहिए. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट के तहत सेना का कोई जवान किसी को अगर मार देता है तो उसकी कोई जांच नहीं होती. उन्होंने दावा किया कि इसके तहत जम्मू-कश्मीर में कम से कम 110 लोग मारे गए हैं और सरकार भी इस बात को मानती है कि मारे गए ये सभी लोग आतंकी नहीं बल्कि आम नागरिक थे. पासवान ने आंदोलन के दौरान सेना द्वारा मारे गए लोगों की उच्च स्तरीय जांच कराने और मृतक के परिजनों को बीस-बीस लाख रूपये मुआवजा तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की.
उन्होंने कहा कि आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (एएफएसपीए) को वापस लेना चाहिए और सेना को सिर्फ सीमा पर और जहां आतंकवादी कार्रवाई हो वहां भेजा जाना चाहिए. लोजपा सुप्रीमो ने कहा कि वहां बेरोजगारी एक बडी समस्या है, लेकिन आज कश्मीर में सबसे बडी समस्या विश्वास का अभाव है. सर्वदलीय समिति के दौरे को लेकर वहां के लोगों के मन में आशा की किरण जगी है. लोगों की शिकायत थी कि इससे पहले भी कितनी समिति आई लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला.
पासवान ने इस मामले में प्रधानमंत्री से मांग की है कि सर्वदलीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर जम्मू-कश्मीर के लिए समयबद्ध कार्यक्रम की घोषणा होनी चाहिए. पासवान ने कहा कि अलगाववादी नेताओं से सरकार को बगैर शर्त बातचीत शुरु करनी चाहिए, जिससे वहां शांति बहाली में मदद मिले.