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छह बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं जयललिता का फिल्मों से राजनीति के शिखर तक का सफर

1956 में फिल्म वेननीरा अदाई से तमिल सिनेमा जगत में बतौर किशोर अभिनेत्री पदार्पण करने वाली जयललिता का एक लोकप्रिय अभिनेत्री से तमिलनाडु की राजनीति में शिखर तक पहुंचने का सफर तय किया.

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जयललिता
जयललिता

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2016 में छठी बार तमिलनाडु में सत्ता की कमान संभालने वाली तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता अपने जीवन मृत्यु की लड़ाई हार बैठीं. जयरामन जयललिता ने उतार-चढ़ाव से भरे अपने करियर में कई लड़ाइयां लड़ी और जीतीं. हर बार वापस उठ खड़े होने और अपने निजी एवं राजनीतिक दुष्प्रचारकों से लड़ने के दृढ़ निश्चय के लिए पहचानी जाने वाली जयललिता का जन्म ब्राह्मण परिवार में 24 फरवरी 1948 को कर्नाटक के मैसूर में हुआ था.

सीवी श्रीधर के निर्देशन में साल 1956 में बनी फिल्म वेननीरा अदाई से सिनेमा जगत में पदार्पण करने वाली जयललिता ने एक किशोर अभिनेत्री से एक लोकप्रिय और चर्चित अभिनेत्री बनने तक का सफर तय किया. अपनी मां के जरिए फिल्मों में प्रवेश के बाद उस जमाने के लोकप्रिय अभिनेता एम जी रामचंद्रन के साथ उनकी जोड़ी मशहूर हुई. 1965 से 1972 तक उन्होंने अधिकांशतः फिल्में एमजीआर के साथ कीं. लेकिन इसके बाद एमजीआर से अगले 10 सालों तक उनका फिल्मी नाता नहीं रहा क्योंकि वो राजनीति में चले गए और 1977 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने. 1980 में तमिलनाडु में चार महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगा और फिर चुनाव हुए. एमजीआर एक बार फिर मुख्यमंत्री बने और मुख्यमंत्रित्व काल के इसी दूसरे दौर में एमजीआर जयललिता को राजनीति में लेकर आए, हालांकि जयललिता ने हमेशा इससे इंकार किया. यहां यह बताना जरूरी है कि जयललिता के राजनीतिक करियर की शुरुआत डीएमके पार्टी से हुई जिसे आज जयललिता ने तमिलनाडु में हाशिए पर ला खड़ा किया है.

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तमिल तेलुगू, कन्नड़ और एक हिंदी फिल्म सहित उन्होंने 300 से अधिक फिल्में करने के बाद जयललिता को एमजीआर ने राज्यसभा पहुंचाया. एमजीआर जयललिता की इंग्लिश के भी बेहद कायल थे और राज्यसभा में उन्हें भेजने के पीछे भी यही कारण था. राज्यसभा में जया 1984-89 तक रहीं. इस दौरान उन्हें पार्टी का प्रचार सचिव भी नियुक्त किया गया. 1987 में जब एमजीआर के निधन के बाद उनकी पार्टी दो धड़े में बंट गई. जयललिता एमजीआर के धड़े की लीडर बनीं और उन्होंने खुद के एमजीआर के विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. इसके बाद उनका राजनीतिक करियर जो शुरू हुआ वो अब 29 सालों बाद उनके निधन के साथ खत्म हुआ. इस दौरान वो छह बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं.

साल 1991 में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और राजीव गांधी की हत्या से पैदा हुई सहानुभूति की लहर ने उनकी पार्टी को भारी जीत दिलाने में मदद की. इसके साथ ही जयललिता ने पहली बार 1991 में मुख्यमंत्री का पद संभाला. जयललिता के नाम न केवल तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड है बल्कि वो इस राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री भी बनीं. हालांकि इसी दौर में उनकी अपनी निकट मित्र शशिकला के परिवार के साथ टकराव शुरू हो गया. वह परिवार कथित तौर पर सरकार के हर मोर्चे पर दखलअंदाजी कर रहा था. जयललिता के दत्तक पुत्र वी. एन. सुधाकरण की शादी में सार्वजनिक तौर पर जिस शान-ओ-शौकत का प्रदर्शन किया गया, उसकी भी भारी आलोचना हुई.

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साल 1996 में भ्रष्टाचार के आरोपों की पृष्ठभूमि में जयललिता के नेतृत्व वाली पार्टी द्रमुक-टीएमसी के गठबंधन के हाथों हार गई थी. इस गठबंधन को तमिल सुपरस्टार रजनीकांत का समर्थन प्राप्त था. इसके बाद जयललिता को गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले समेत कई मामले दर्ज कर लिए गए थे. चुनावी नुकसान से विचलित हुए बिना, जयललिता ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ गठबंधन कर लिया लेकिन बाद में उन्होंने अपने राजनैतिक कद को राष्ट्रीय फलक तक ले जाते हुए वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को साल 1999 में गिरा दिया.

साल 1991...96, 2001...2006 और मई 2011 से सितंबर 2014 तक मुख्यमंत्री रह चुकीं जयललिता इस दौरान अपने कठोर फैसलों के लिए भी चर्चा में रहीं. साल 2001 में जयललिता एक बार फिर अपनी पार्टी को सत्ता में लेकर आईं और इस दौरान जब सरकारी कर्मचारियों ने हड़ताल की तो जयललिता ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए लगभग दो लाख कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. इससे पूरा तमिलनाडु हिल उठा. इसी साल टीएएनएसआई भूमि मामले में दोषी साबित होने के कारण कुछ समय के लिए उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा लेकिन इसका असर उन्होंने पार्टी के भाग्य पर नहीं पड़ने दिया. तब उन्होंने ओ. पनीरसेल्वम को अपने स्थान पर तैनात कर दिया था. मामले में निर्दोष साबित होने के बाद ही उन्होंने पनीरसेल्वम से शासन की कमान वापस ली.

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आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें पहले दोषी और फिर बरी किया गया. आय से अधिक संपत्ति के मामले के चलते उनके राजनीतिक करियर के बिखर जाने का खतरा पैदा हो गया था लेकिन कमबैक क्वीन ने एक ऐसे समय पर अपनी वापसी की जब उनकी पार्टी 2016 के विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही थी. जयललिता की वापसी ने विपक्षियों की रणनीति में एक नया ही पेंच ला दिया. 2014 सितंबर में अन्नाद्रमुक प्रमुख को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराया गया तो वह एक केंद्रीय कानून के कारण स्वत: ही अयोग्य हो गईं. जयललिता ने इसका सामना कानूनी तौर पर करने का संकल्प जताया था. मामले में बरी होने के 15 दिन के भीतर उन्होंने पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

पुरात्ची थलाइवी (क्रांतिकारी नेता) कहलाने वाली जयललिता ने द्रमुक की उन सभी गणनाओं को गलत साबित कर दिया था, जिनके अनुसार, द्रमुक को साल 2011 में सत्ता हासिल होने वाली थी. उस साल जयललिता ने डीएमडीके और वाम दलों के साथ गठबंधन करते हुए अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलाई. एम करुणानिधि के नेतृत्व वाली डीएमके को महज 23 विधायक ही मिल पाए थे. उसके बाद से जयललिता के कद को तमिलनाडु में कोई चुनौती नहीं दे सका क्योंकि अन्नाद्रमुक ने न सिर्फ सभी उपचुनाव और स्थानीय निकायों के चुनाव जीते, बल्कि 2014 के लोकसभा चुनावों में भी अपनी उत्कृष्टता साबित की. जयललिता के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक ने राज्य में 39 लोकसभा सीटों में से 37 सीटों पर जीत का परचम लहराकर तमिलनाडु में नरेंद्र मोदी के लहर के खिलाफ जयललिता की लोकप्रियता के पर्याप्त संकेत दे दिए. अम्मा का कद किस कदर ऊंचा हुआ कि द्रमुक प्रमुख करुणानिधि के संकेत के बावजूद कि उनकी पार्टी गठबंधन करके ही 2016 विधानसभा चुनावों में अन्नाद्रमुक को चुनौती दे सकती है, विपक्ष 2016 के विधानसभा चुनावों तक वापस खड़ा नहीं हो पाया.

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