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जब वी मेट में बोले प्रशांत किशोर- तकनीक ने मोदी को बहुत बड़ा बना दिया

2014 में जनता को यह लगने लगा कि मोदी अगर हर जगह मौजूद रह सकते हैं तो वह कुछ भी कर सकते हैं. इस आदमी को एक मौका देना चाहिए, जनता ने उन्हें ताज सौंप दिया

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प्रशांत किशोर (फोटो- इंडिया टुडे आर्काइव)
प्रशांत किशोर (फोटो- इंडिया टुडे आर्काइव)

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2014 लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी की असंख्य रैलियां हो रही हैं या इनकी संख्या 100 के करीब है, यह मुद्दा बेमानी हो गया था. लेकिन वह कई रैलियों को एक साथ संबोधित कर रहे थे. उनकी तस्वीर किसी बड़ी स्क्रीन पर नहीं चल रही थी लेकिन यह तय हो गया था कि वह जादुई रूप से हर जगह मौजूद रह सकते हैं. थ्री डी होलोग्राम तकनीक तुरंत हिट हो गई. बहुत जल्द ही यह छोटे और गैर-शहरी लोकसभा क्षेत्रों में संवाद करने का एक तरीका बन गई. यह एकदम यूनीक तरीका इजाद हुआ, जिसके माध्यम से कई शहरों में वोटरों से सीधा संवाद किया गया.

इंडिया टुडे के जब वी मेट कार्यक्रम में टीवी टुडे नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने ये बातें कहीं, किशोर को सोशल मीडिया का जादूगर कहा जाता है. प्रशांत ने कहा कि होलोग्राम तकनीक ने मोदी को बहुत बड़ा बना दिया, होलोग्राम का आयडिया सफल होते ही एक विचार काम करने लगा कि केवल मोदी ही ऐसा कर सकते हैं. यह सबसे बड़ा कारण था जिससे 2014 में बीजेपी का चुनाव कैंपेन हिट साबित हुआ. बाद में नीतीश कुमार, अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने भी प्रशांत किशोर की मदद ली.

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2014 में नरेंद्र मोदी की सफलता के बाद बहुत सारे सोशल मीडिया कैंपेन चले जिसे प्रशांत किशोर ने आकार दिया था. पूरे देश में मोदी की लहर चली और 10 साल से चल रही यूपीए सरकार के एंटी इनकैंम्बेंसी फैक्टर की वजह से मोदी केंद्र में सरकार बनाने में सफल रहे. मोदी ने एक सपना दिखाया कि उनके नेतृत्व में भारत खुशहाल रहेगा. सोशल मीडिया के प्रभावी इस्तेमाल से उनकी एक छवि बनी कि अगर इस आदमी को पद सौंपा जाता है तो वह परिवर्तन ला देगा.

होलोग्राम टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करने से एेसा माहौल बनता है कि एक आदमी पूरे वातावरण में मौजूद है. यह वैसे लोगों की भीड़ खींचने के लिए पर्याप्त होता है, जो तकनीक के रूप में बहुत मजबूत नहीं होते. किशोर का कहना है कि लोग इसके बारे में बहुत आश्चर्य के साथ बात करते हैं. होलोग्राम रैलियों को देखने के बाद लोग यह मानने लगे कि मोदी कुछ भी कर सकते हैं. एेसी रैलियों के पहले लोगों को एेसा कहते सुना गया कि मोदी हवा में मौजूद रहेंगे, कार्यक्रम में आए लोगों के लिए एक बहुत बड़ी बात थी और एेसे लोगों के वोट भाजपा की झोली में आ गए.

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