2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने वाले प्रशांत किशोर ने कहा कि अमित शाह से उनकी तुलना ठीक नहीं है, शाह भाजपा जैसी बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. देश में नंबर दो की हैसियत रखते हैं. मैं एक अदना सा आदमी हूं, उनसे मेरी क्या तुलना.
कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि प्रशांत किशोर के भाजपा में बढ़ते हस्तक्षेप से अमित शाह नाराज थे. दोनों में बढ़ते मतभेद के कारण ही प्रशांत किशोर को भाजपा के लिए काम करना बंद पड़ा, बाद में प्रशांत ने कांग्रेस के लिए काम किया, वह नीतीश से जुड़े और वहीं के होकर रह गए. नीतीश ने उन्हें जद यू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है.
प्रशांत किशोर ने इंडिया टुडे के खास शो JabWeMet में टीवी टुडे नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल से बात की. जब उनसे पूछा गया कि आखिर उन्होंने कोई राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस या भाजपा क्यों नहीं जॉइन की? इस पर प्रशांत किशोर का कहना था कि उन्हें नीतीश के विचारों में भरोसा था इसलिए वह जद यू में शामिल हुए. उन्होंने चाय पर चर्चा को अपना सबसे बेहतरीन कैंपेन बताया, वहीं पंजाब में कांग्रेस के लिए काम करने को बड़ी भूल करार दिया.
अमित शाह पर क्या बोले पीके
राहुल कंवल के इस सवाल पर कि अमित शाह से कथित मतभेद पर क्या कहना चाहेंगे, ऐसा कहा जाता है कि शाह से कथित दुश्मनी के कारण ही प्रशांत ने बिहार के विधानसभा चुनाव में उस बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाई जिसे लोकसभा में जिताने की जिम्मेदारी उठाई थी. इस पर प्रशांत किशोर का कहना था कि यह मीडिया के दिमाग की उपज है. मैं अपनी तुलना अमित शाह से कैसे कर सकता हूं. राहुल कंवल ने उनसे पूछा फिर आपने जद यू क्यों जॉइन की, इस पर प्रशांत का कहना था कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए, न कि अमित शाह का मुकाबला करने के लिए. वह वरिष्ठ नेता हैं, एक बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, देश में वह नंबर 2 की स्थिति में हैं, मैं उनसे अपनी तुलना कैसे कर सकता हूं.
कैंपेन से ऐसी छवि बनी कि मोदी सबकुछ कर सकते हैं
प्रशांत ने कहा कि थ्री डी होलोग्राम तकनीक से मोदी की ऐसी छवि बनी जिससे लोग सोचने लगे कि अगर मोदी ऐसा कर सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं. यूपीए के 10 साल के कार्यकाल से नाराज लोगों ने उन्हें सत्ता सौंप दी.
दूल्हा दुल्हन भाग गए आयोजक को उठानी पड़ी शादी की सारी जिम्मेदारी
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए कैंपेन करने वाले प्रशांत किशोर (पीके) ने बताया, 'यूपी चुनाव एक शादी की तरह था, जहां दूल्हा और दुल्हन भाग गए और शादी की सारी जिम्मेदारी आयोजक को ही उठानी पड़ी.' कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन पर प्रशांत किशोर ने बताया, 'हमने कैंपेन की शुरुआत 27 साल, यूपी बेहाल के नारे के साथ की, जिससे साफ जाहिर होता है कि गठबंधन का कोई आइडिया नहीं था. लेकिन इसी बीच सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक हो गई. जिसके बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं में इस बात पर सहमति बनी कि इन हालातों में अकेले चुनाव लड़ना अच्छा निर्णय नहीं होगा.'