scorecardresearch
 

15 घंटे की नवजात की मौत पर HC ने सरकारी एजेंसियों से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि आज हम डिजिटल वर्ल्ड में रह रहे हैं, लेकिन फिर भी सरकारी अस्पतालों में कनेक्टिविटी की ऐसी कमी है कि एक नवजात को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है. इलाज न मिलने से बच्ची की मौत हो गई. हाइकोर्ट ने कहा कि ये बड़ा गंभीर मामला है.

Advertisement
X
दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल)
दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल)

Advertisement

समय से इलाज नहीं मिलने के कारण जन्म के 15 घंटे के भीतर ही जगप्रवेशचंद्र अस्पताल में हुई नवजात की मौत पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. दरअसल, नवजात बच्चे के दिल की धड़कन कम थी और उनके परिवार वाले चाचा नेहरू अस्पताल, जीटीबी, एलएनजेपी जैसे अस्पतालों के चक्कर काटते रहें. लेकिन, किसी भी अस्पताल ने उस नवजात को भर्ती नहीं किया.

हाईकोर्ट ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि आज हम डिजिटल वर्ल्ड में रह रहे हैं, लेकिन फिर भी सरकारी अस्पतालों में कनेक्टिविटी की ऐसी कमी है कि एक नवजात को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है. इलाज न मिलने से बच्ची की मौत हो गई. हाइकोर्ट ने कहा कि ये बड़ा गंभीर मामला है.

हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग, तीनों नगर निगम से इस मामले में 4 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देने को कहा है. सीनियर लॉयर अशोक अग्रवाल ने हाईकोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस के सामने ये मामला उठाया. इसके बाद कोर्ट ने सरकारी एजेंसियों से इस मामले में जवाब मांगा है. हाइकोर्ट मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को करेगा.

Advertisement

बच्ची के दादा ने बताया कि 21 नवंबर को जगप्रवेशचंद्र अस्पताल में उनकी बहू ने एक बच्ची को जन्म दिया. डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की धड़कन कम है. अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है. ऐसे में रिजवान रेफर कागज लें इसको कहीं और भर्ती करा दे.

शाम तक ये परिवार जीटीबी, चाचा नेहरू, एलएनजेपी अस्पताल के चक्कर काटता रहा, लेकिन जगह न होने की बात कहकर किसी भी अस्पताल ने बच्ची को एडमिट नहीं किया. इस बीच बच्ची की मौत हो गई. मामले की शिकायत एसीबी और मुख्यमंत्री को भी की गई, लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ.

Advertisement
Advertisement