भारतीय जनता पार्टी में जगत प्रकाश नड्डा का सितारा चमक रहा है. अपनी गजब की सांगठनिक क्षमता, टारगेट को पूरा करने का मिशनरी अंदाज और मिलनसार व्यक्तित्व की वजह से ही बीजेपी के सामूहिक नेतृत्व ने कई कद्दावर नेताओं को दरकिनार कर उन्हें अमित शाह का उत्तराधिकारी चुना.
मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले ब्रह्माण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जेपी नड्डा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 2 दिसंबर 1960 को हुआ था. नड्डा ने पटना विश्वविद्यालय से बीए की परीक्षा पास की. जब उच्च शैक्षणिक योग्यता लेने का टाइम आया तब तक वे हिमाचल प्रदेश वापस आ चुके थे. यहां से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. राजनीति का ककहरा जेपी नड्डा बिहार में ही सीख चुके थे. बीजेपी के मुताबिक जे पी नड्डा जवानी के दिनों में एक दूसरे जेपी से प्रभावित थे. ये जेपी थे जय प्रकाश नारायण. नड्डा उनके द्वारा चलाए गए कई आंदोलनों में सक्रियता से भाग लिए.
जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने 1984 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया को शिकस्त दी और जेपी नड्डा छात्र संघ के अध्यक्ष बने.
भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा के राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन का एक संक्षिप्त परिचय। pic.twitter.com/QleuVNuubk
— BJP (@BJP4India) June 17, 2019
1989 में जेपी नड्डा ABVP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बने. 1991 में बीजेपी की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने.
1993 में वे हिमाचल प्रदेश से विधायक चुने गए और 1994 से लेकर 1998 तक राज्य विधानसभा में पार्टी के नेता रहे. 1998 में ही उन्हें स्वास्थ्य और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया. 2007 में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की. इस बार उन्हें वन पर्यावरण मंत्री बनाया गया.
2010 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया. 2012 में नड्डा का करियर ग्राफ एक बार फिर चढ़ा और वे राज्यसभा में आ गए. 2014 में उन्हें बीजेपी संसदीय समिति का सचिव नियुक्त किया गया. 2014 में कैबिनेट पुनर्गठन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया.
अपने राजनीतिक करियर में नड्डा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के प्रभारी और चुनाव प्रभारी रहे. बीजेपी में उनका कद लगातार बढ़ता रहा. उन्हें बीजेपी की निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था बीजेपी संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया. यही नहीं वे बीजेपी के केंद्रीय इलेक्शन कमेटी के सदस्य भी बने.
अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में नड्डा को यूपी का जिम्मा सौंपा यहां पर उन्होंने गुजरात बीजेपी के नेता गोवर्धन झड़पिया के साथ काम किया और पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट और 64 सीटें दिलाई. कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नड्डा की चुनौती बीजेपी की जीत की लय को बरकरार रखना है. देश में कुछ ही महीनों में चार राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों में उन्हें बीजेपी की जीत की गति को बरकरार रखना है और अपनी क्षमता साबित करनी है.